हरी भरी वादियों में 
जाने का मन है 
वहीं समय बिताने का मन है 
स्वप्न तक नहीं अछूते 
उनकी कल्पना में 
जाने कितने स्वप्न सजाए 
कल को जीने के लिए 
यह तक याद नहीं रहा 
स्वप्न तो सजे हैं 
पर रात के अँधेरे में 
तेरा अक्स मुझे रिझाए 
एकांत पलों के साए में 
केनवास पर रंग व् कूची 
कई अक्स  बनाए मिटाए 
 वादियों की तलाश में 
वह मन को रिझाए 
गीत प्यार के गुनगुनाए 
तभी  दिल चाहता है 
भोर कभी न आए 
स्वप्न में ही वह उसे पा जाए 
आने वाला कल उसके लिए
खुशियों की सौगात लाए|
आशा 


