तेरा जलवा है ही ऐसा
निगाहें टिकती नहीं
तेरे मुखमंडल पर
फिसल जाती हैं उसे चूम कर |
कितनी बार कहा तुम से
अवगुंठन न हटाओ अपने आनन से
कोई बचा न पाएगा तुम्हे
जमाने की बुरी नजर से |
कब तक कोई बचाएगा तुम्हे
दुनीया की भूखी निगाहों से
किसी की जब निगाहें
भूखे शेर सी तुम्हें खोजेंगी|
तुम मदद की गुहार करोगी
चीखोगी चिल्लाओगी सहायता के लिए
पर कोई भी सुन न पाएगा
जब तक खुद सक्षम न होगी |
आज के युग में कमजोरी का लाभ
सभी उठाना चाहते हैं
दुनीया का सामना करना होगा
तभी सर उठाकर जी पाओगी |
हो आज की सक्षम नारी
यह कहना नहीं है मुझे
केवल इशारा ही काफी है
बताने की आवश्यकता नहीं है |
सर तुम्हारा गर्व से उन्नत होगा
आनन दर्प से चमक जाएगा
सफलता कदम चूमेगी तुम्हारे
हो आज की नारी कमजोर नहीं हो |
घूंघट हटे न हटे पर
चहरे पर आव रहे
नयनों में हो शर्म लिहाज
है यही अपेक्षा तुमसे |
आज भी हो सक्षम और सफल
कल होगी और अधिक हिम्मत
किसी से न भयभीत हो
दृढ़ कदम हो समाज में जी पाओगी |
आशा