प्रेमी न थे वे तो तुम्हारे
भरम में फंसते गए
नादाँ थे जो जान न पाए
गर्त में धंसते गए |
मार्ग न पाया उचित जब तक
भटकाव सहते गए
साथी न पाया अर्श तक जब
फलसफे बनते गए |
ना बेवफाई की तुम्हारी
आहट तक उन्हें मिली
प्यार में धोखा खाते गए
रुसवाई उन्हें मिली |
यूँ तो न थे वे प्रिय तुम्हें भी
मानते यह क्यूँ नहीं
वे थे तुम्हारा एक मोहरा
स्वीकारते क्यूँ नहीं |
आशा
भरम में फंसते गए
नादाँ थे जो जान न पाए
गर्त में धंसते गए |
मार्ग न पाया उचित जब तक
भटकाव सहते गए
साथी न पाया अर्श तक जब
फलसफे बनते गए |
ना बेवफाई की तुम्हारी
आहट तक उन्हें मिली
प्यार में धोखा खाते गए
रुसवाई उन्हें मिली |
यूँ तो न थे वे प्रिय तुम्हें भी
मानते यह क्यूँ नहीं
वे थे तुम्हारा एक मोहरा
स्वीकारते क्यूँ नहीं |
आशा