रूप रंग स्वभाव तुम्हारा
जलवा तुम जैसा
है ही ऐसा
हो तुम सब से जुदा |
तुम्हारा मन किसी से
मेल नहीं खाता
देख कर किसी को भी
अंतरमुखी हो जाता |
सब चाहते तुमसे
मिलना जुलना बातें करना
पर तुम्हें है पसंद
गुमसुम रहना |
भूले से यदि मुस्कुराईं
मन को भी भय होता
यह बदलाव कैसा
यह क्या हुआ ?
हो गुमसुम गुड़िया जैसी
कोई समस्या नहीं तुम में
तुम्हारा स्वभाव है जन्म जात या
परिस्थिति वश मालूम नहीं |
तुम्हें समझना है कठिन
सहज कार्य नहीं है
बोलने में हो कंजूस पर
मुस्कुराने में कमी नहीं |
जो भी देखता एकटक तुम्हें
पलकें तक नहीं झपकतीं
देखता ही रह जाता
अनुपम आकर्षण तुम्हारा |
तुम हो लाखों में एक
हो गुण सम्पन्न इतनी
किसी से कम नहीं हो
एक झलक ही तुम्हारी है अनुपम |
आशा