22 अक्तूबर, 2023

मन की राह कहाँ मिले

 मन की राह है  अनूठी 

नीलाम्बर से आगे जाए 

हर व्यक्ति खोज ना पाए 

जो बाटखोजता इधर उधर 

हार कर रह जाएँ पहुच ना पाए 

मन को कैसे समझाए |

जब भी हलकी सी आहट  हो 

वायु की सरसराहट हो 

मन खिचता जाए उस ओर 

जब नजरों के समीप आए 

नीलाम्बार की ओर से ही 

वह उस  राह तक पहुंचे   |

खुशियों की सीमा न रहे  

अन्तरिक्ष में पंख पसारे

पंखियों से आगे रहे 

अपनी मंशा पूरी करे |

कोई नहीं जानता

 मन के सिवा

 राह कहाँमिल  पाएगी 

 अपना वजूद सब को दिखाएगी |

आशा सक्सेना 

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