मन की राह है अनूठी
नीलाम्बर से आगे जाए
हर व्यक्ति खोज ना पाए
जो बाटखोजता इधर उधर
हार कर रह जाएँ पहुच ना पाए
मन को कैसे समझाए |
जब भी हलकी सी आहट हो
वायु की सरसराहट हो
मन खिचता जाए उस ओर
जब नजरों के समीप आए
नीलाम्बार की ओर से ही
वह उस राह तक पहुंचे |
खुशियों की सीमा न रहे
अन्तरिक्ष में पंख पसारे
पंखियों से आगे रहे
अपनी मंशा पूरी करे |
कोई नहीं जानता
मन के सिवा
राह कहाँमिल पाएगी
अपना वजूद सब को दिखाएगी |
आशा सक्सेना
सच है मन से बड़ा कोई राह दिखाने वाला नहीं ! सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए |
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