20 जुलाई, 2013

आत्मबल


आस्था का संबल पा
अवधान को जागृत किया
मेकल सुता की धारा में
कांछ कांछ मन निर्मल किया |
दीपक, बाती , स्नेह से
मन मंदिर का दीप जला
अभ्यर्थना के थाल को सज्जित  
 पत्र ,पुष्प कुमकुम  से  किया  |
जब पग बढाए राह पर
झंझावात से नहीं डरे
दीपक की लौ कपकपाई
बाधित वह भी नहीं हुई |
अधिक उजास से भरी
मार्गदर्शक बन उसने
कर्तव्य पूर्ण अपना किया |
आत्म बल से परिपूर्ण
उस पथ पर जाने वालों को
बाँध कर ऐसा रखा
तनिक भी भटकने न दिया |

18 जुलाई, 2013

भ्रम कुण्डली का


कुण्डली (१)
क्या यही गलत नहीं ,सागर से की आस
प्यासा प्यासा ही रहा, बुझ ना  पाई प्यास
बुझ ना  पाई प्यास, सुनो हे बंधू मेरे
वह नमक कहाँ ले जाए ,कहाँ से लाए मिठास |
कुण्डली (२ )
कड़वा कड़वा थू करे ,मीठा सब जग खाय
है जगत की रीत यही ,मीठा अधिक सुहाय  
मीठा अधिक सुहाय ,सुनो हे भ्राता मेरे
अति इसकी जो भी करे ,बीमारी बढ़  जाय |
(3)
प्यार बढाया आपने ,सौदा किया न कोय
दिन दूना फूला फला ,रोक न पाया कोय 
रोक न पाया कोय सोचो  किसने की भूल
विसराना ना उसे , ना देना बात को तूल |
आशा

15 जुलाई, 2013

ऐ पुरसुकून जिन्दगी



ऐ पुरसुकून जिन्दगी
तुझे किसी की नज़र न लगे
क्या सुबह क्या शाम
तुझ में महक रहे |
सुबह तेरे नाम हो
शामेंगम ना साथ हो
मद मस्त चांदनी रात में 
वादे सवा का साथ हो
मन में खुशी रहे |
वादा खिलाफ़ी ना कोई  करे
तुझ में ही डूबा रहे
उसके ख्यालों में
बस तू ही तू रहे |