18 जुलाई, 2013

भ्रम कुण्डली का


कुण्डली (१)
क्या यही गलत नहीं ,सागर से की आस
प्यासा प्यासा ही रहा, बुझ ना  पाई प्यास
बुझ ना  पाई प्यास, सुनो हे बंधू मेरे
वह नमक कहाँ ले जाए ,कहाँ से लाए मिठास |
कुण्डली (२ )
कड़वा कड़वा थू करे ,मीठा सब जग खाय
है जगत की रीत यही ,मीठा अधिक सुहाय  
मीठा अधिक सुहाय ,सुनो हे भ्राता मेरे
अति इसकी जो भी करे ,बीमारी बढ़  जाय |
(3)
प्यार बढाया आपने ,सौदा किया न कोय
दिन दूना फूला फला ,रोक न पाया कोय 
रोक न पाया कोय सोचो  किसने की भूल
विसराना ना उसे , ना देना बात को तूल |
आशा

11 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार दीदी-

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  2. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती ,आभार।

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  3. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  4. सार्थक सन्देश देतीं सुंदर कुण्डलियाँ ! बहुत बढ़िया !

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  5. सन्देश प्रदकुण्डली.... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .......!!

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