07 मई, 2016

है पढ़ना आवश्यक


१-
 मन से पढ़
जाना ऊंचाई तक 
मेरी बिटिया |
२-
 मां का प्यार 
है सम्बल उसका 
बहुत पढेगी |
३-
 नई पोशाक 
की सुन्दर  चुटिया
 हुई तैयार |
४-
  रहते कहीं
पर पढ़ना ही है 
मन कहता |
5-
 नहीं है बस्ता
आज पहला दिन 
चल जाएगा |
6-
है तो निर्धन 
इच्छा शाला जाने की 
प्रवल रही |
७-
है उत्साहित 
मां की तैयारी से 
शाला जाना है |
८-
बेटी तैयार
समय की पावंद 
माता प्रसन्न |
९-
बेटी पढाओ 
शिक्षित होगी जब 
समृद्धि लाए |
१०- 
मां ने सजाया 
शाला में पहुंचाया 
वह आगे बढी |

आशा

 

06 मई, 2016

जन्मदिन (२.५.२०१६ )पर बेटी ने खींची तस्वीरें

बदरा



१-
प्रसन्न दिखा
धरती का मुखड़ा
बदरा देख |
२-
छाए बदरा
दिल बाग़ बाग़ है
कोयल बोली |
३-
नन्हां डबरा
जल की ही आशा में
देखे बदरा |
४-
आसमान में
कजरारे बदरा
बोले पपीहा |
५-
नन्हें पौधे हैं
चाहत है बढ़ने की
बदरा आओ |
आशा


04 मई, 2016

अंधी भीड़

पत्थरबाजी के लिए चित्र परिणाम
जुटी भीड़ एक जलसे में 
एक समूह ने कुछ कहा 
चर्चा पर चर्चा हुई 
आनन् फानन मेंबात बढी
जाने क्या बात हो गई 
आपस में तकरार हो गई 
पहले बहस फिर हाथापाई 
फिर पत्थरबाजी शुरूहुई 
पत्थर से पत्थर टकराए
 चिंगारियां उड़ने लगीं 
कब चिंगारी आग में बदली 
कोई नहीं जान पाया 
भागमभाग ऐसी  मची 
कोई भागा कोई गिरा 
लड़ाई झगड़ा भूल गए 
पलायन में ही हित समझ 
बाहर आ कर दम लिया 
दमकल आई आग बुझाई 
 बड़ा हादसा टल गया 
जन हानि ना हुई होना था जो हुआ 
  मजा जलसे का  किरकिरा हुआ |
आशा


03 मई, 2016

दामिनी (हाईकू )


१-बरसात में
दमकती दामिनी 
 कहर ढाए |
२-
 बहती नदी 
स्वेत सर्पिणी लगे
हरियाली में |
३-
मरूस्थल में 
जल का स्त्रोत दिखा
काली रात में |
४- 
सूखी पहाड़ी 
 बरसात  की आस
घोर गर्जन |
५-
आसमान में
बादल टकराते
बूंदे आ गईं |
६-
काली घटाएं
दमकती दामिनी
वर्षा की आस |
७-

 वे टकराए 
गर्जन उनका था 
गिरी बिजली |
८-
 दो थे बादल 
 टकराए दोनो ही 
चमकी वह |
 
आशा


01 मई, 2016

है आज मजदूर दिवस

परिश्रम करता मजदूर के लिए चित्र परिणाम
है आज मजदूर दिवस 
क्यूं न पूरी मजदूरी दें
श्रमिक का दिल न दुखाएं
श्रमिक को सम्मान दें |
वह दिन भर खटता रहता
जो कुछ पाता घर चलाता
काम न मिले तो झुंझलाता
सोचता आज चूल्हा कैसे जले |
असंतोष उसे मधुशाला ले जाता
कुटेव का आदी हो जाया
दरिद्र देवता देख लेता घर
वहीं अपने पैर जमाता |
आएदिन झगड़े फसाद
ढाने लगते क़यामत
सारा जीवन यूं ही गुजरता
अभावमय जीवन होजाता |
समस्या है बहुत विकट
कोई हल न निकला आज तक
आज हम प्रण लें
किसी का हक न मारें
पूरी मजदूरी देंगे
मजदूर का सम्मान करेंगे  |
आशा