31 जुलाई, 2021

रंगीला मौसम


 

 मौसम आज 

है बहुत रंगीन 

गाई कजरी 

दादरे  सावन के  

बूंदे  बरसें

मन में मिश्री घोलें 

बूँदें टपकें

झर झर कर के

मन मोह लें  

 स्वर लहरी  मधुर 

गीत संगीत

मन को लुभाता है 

 लय  प्रधान 

मीठी मन मोहक

सब को लगे  

सृष्टि की बारिश है

इतनी प्यारी

सावन की कजरी 

ऐसी आवाज  

पर ढोलक बजी  

 पैर न थके 

घूमर कर कर 

घुंगरू सजे 

पैर उठने लगे

थिरक रहे

उस संगीत पर

रौनक  हुई  

हुआ नृत्य मयूर   

बादल आए    

उमढ घुमड़ के  

रौनक बढ़ी

समा हुआ रंगीन

गीत गाने में    

सब हुए मगन

 ठुमक रहे    

नृत्य संगीत पर 

 लहरा रही 

सतरंगी चूनर 

ओढी गोरी ने     

मौसम सुहावना      

कोई न रहा

उससे अनछुआ 

सभी घूमते  

सुरम्य वादियों में

 भीगते जाते 

तरबतर होते

ऋतु है बरसाती    

मन मीत आने की  |

आशा

 

30 जुलाई, 2021

रिश्ते


 


दोनो ओर के रिश्ते

धन और ऋण से होते 

पर जताते नहीं कभी

वे कैसे होते |

हैं सतही या खून के

जब आवश्यकता होती

तभी दिखाई देते

समय पर पहचाने जाते |

कभी विरोधाभास होता दौनों में

 कमी उजागर हो जाती

जब बरता जाता दौनों को

हैं इतने नाजुक कच्चे सूत से |

इन्हें  निभाना है  एक कला  

अधिकाँश  होते अनजान

कुछ गिने चुने लोगों के सिवाय

वे ढोल पीटना  जानते |

 रिश्ते की नजाकत

जब  नहीं  समझते

कहाँ तक सोचें कितना निभाएं

वाडे निभाएं जान से ज्यादा  

बरसाती मेंढक से नहीं |

वही सही रिश्ते निभा पाते  

अपने पराए का भेद समझाते

बुरे वक्त में साथ रह हिम्मत दिलाते |

आशा

 

29 जुलाई, 2021

लम्हे


                                           भूल  तुमने  न की  थी

शायद यही लिखा था प्रारब्ध में

किसी ने की थी  बुराई

 तुम्हारे नाम आई  |

जीवन में कई पल आते  

अनजाने में होते  ऐसे  

करता कोई कुछ है

भरता कोई और है |

मन पर सीधा प्रहार होता  

शब्दों के विष बुझे बाणों का

तब  कोई साथ नहीं देता

 खुद ही सहना पड़ता  |

क्या  बच  नहीं सकते प्रपंचों से 

क्यों नहीं ? रहें तटस्थ यदि

चलें निश्प्रह हो कर

दुनिया के छल छिद्र से  दूर|

जितनी सावधानी से

सतर्क हो कदम फूँक कर रखोगे

दुनिया के पंक से दूर रहोगे

 समय की कीमत समझोगे |

आशा

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

28 जुलाई, 2021

उसकी क्या खता है


 

उसकी  क्या खता है

एक निगाह में देखा था   

तुमने ही पसंद किया था

 तुम्हारे योग्य समझ  |

सभी सर्वगुण संपन्न नहीं  होते

क्या तुम में कमी कोई नहीं

बह भी  निभा रही साथ तुम्हारा

 हर बात तुम्हारी  मान लेती सही समझ  |

 विवाह  एक समझोता है आज

 विश्वास पर टिका है  

पवित्र बंघन पति पत्नी के बीच आज

   रिश्ता नहीं  जनम जनम का |

वैसे किसी ने देखा नहीं है  

जन्म जन्मान्तर का चक्कर

 दौनों को ही झुकते देखा 

 समय की नजाकत देख |  

किसी को क्या दोष देना

भाग्य में पहले से ही लिखा है

जो ना मिला वह पत्थर था

जिसको पाया वही सच्चा  मोती है  |

 समझदारी, व्यवहारिक बुद्धि है आवश्यक

 जीवन की नैया चलाने को

 जल के बहाव के संग बहना है

यदि समाज में रहना है |

जब  नियम  न पालोगे   

डूबेगी नैया मझधार में बच न पाओगे  

 भव सागर के दलदल से 

 फँस कर रह जाओगे उसमें  |

आशा

 

 

 

27 जुलाई, 2021

सही यह निर्णय


                                                                                                                  सही 
यह निर्णय  

कहा  तुमने 

यह सही नहीं  है

गलत सही 

कैसे जान पाओगे 

पहले उसे  

फिर जान लो मुझे 

पहचान लो

परिचय  महंगा  

  छलावे जैसा 

कुछ लाभ न देगा

  हानि लाभ  तो 

जाने अनजाने में

होने लगेंगे 

जब तक सतर्क

नहीं रहोगे

तुम्हारी होगी हानि  

 अनावश्यक  

सतही संबंधों से

जुड़े रहना

 उससे बंध कर

जब रहोगे 

कैसे बच पाओगे 

 हो के तटस्थ 

 निर्णय कैसे  लोगे |

आशा  

हाइकु


कविता कैसी

मन को छू न पाई

कैसे पढ लूं


हम न माने

हैं जाने पहचाने 

लोग यहाँ के


पारद जैसे

हैं कभी यहाँ वहां

रहे गुडक


यह प्यार है

कुछ और नहीं है

कैसे समझा


मन भागता

कर्तव्यों से बचने 

मालूम नहीं


आशा न थी

कि तुम आ जाओगे

 परखने को 

आशा 

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  · 

 

 


26 जुलाई, 2021

दो पक्षी


                                                                 
                        दो  पक्षी होकर दीवाने 

चौंच से चौंच लड़ाते

क्या क्या बातें करते होंगे 

वही जानते  |

आपस में प्यार जताते

  समझते समझाते

इशारों  को  हम खुद ही

जानने  की कोशिश करते |

बड़े प्यारे लगते वे

और उनकी स्वर लहरी

जब पंख फैला कर

 नीलाम्बर  में उड़ते |

कभी घोंसले में बैठे

बच्चों  से  बतियाते होंगे

भविष्य की योजनाएं  बना रहे  होंगे

 यही ख्याल आया  मन में |

उनसे ली एक शिक्षा

जिन्दगी को बोझ न समझो

चाहे मौसम हो  कैसा भी

 चहकते रहो खुश हो  |

आशा

 

 

25 जुलाई, 2021

प्रभु से मिली नियामत है


प्रभु से मिली  नियामत है

 भार नहीं   यह जिन्दगी  

है  झूलना इसे  जाने कब तक

 आशा निराशा के झूले में 

 लिए  मुस्कान चहरे पर |

कितनी भी कठिनाई हो

साहस  नहीं  खोना है

आँखों में  अश्रु सूख गए

 फिर भी रोना है |

जीवन का है  सत्य यही

किसी से छिपा नहीं है

हर बार की तरह इसे भी  

सपनों में  सजाना है |

  स्वप्न में और कल्पनाओं में

जीने का आनंद  है  कुछ और

 जो सच में है ही  नहीं

 उसे साकार  कराना है |

देखे कई  उतार चढ़ाव

  जीवन के समुन्दर   में

खेले खाए  हँसे हँसाए  रोए गाए

सभी इसी जीवन  में  |

आशा 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 आशा