17 जून, 2021

महनतकश (हाइकु)


 

                                                                             १-भार उठाया महनतकश ने बड़े यत्न से
२-आशा न थी
उठाने की तुमसे
इतना भार
३- -ठेले पर भार
बहुत अधिक है
कैसे उठाएं
४- -मानी न हार
महनतकश हूँ
भागता नहीं
५-किसने कहा
ये हो नहीं सकता
मैंने किया है
आशा
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16 जून, 2021

स्वर्ग और नर्कहैं यहीं

 

  


स्वर्ग और नर्क

 दौनों ही

 दिखाई दे जाते

इसी कायनात में|

जब अपने किये

कार्यों का आकलन

 अंतर आत्मा की आवाज सुन  

 किया जाता | 

खुद अपना आकलन

 निष्प्रह हो कर

 किसी ने किया यदि

शीशे में दीखती खुद की छवि 

जैसा दिखाई देता आकलन  |

पर है आवश्यक

तटस्थ भाव से

 हो निर्णय निष्पक्ष

 किये  गए  आकलन पर |

 खोजा जा सकता है

इसी दुनिया में

स्वर्ग और नर्क

अपने आसपास यहीं  |

हर किये गए

 कर्म का फल

यहीं मिलता है

है यहीं स्वर्ग

और नर्क यहीं |

आशा

15 जून, 2021

मेरी आँखों में बसी है


 

 मेरी आँखों में बसी 

तेरी मनमोहनी सूरत

कितनी भोलीभाली

मासूम सी दीखती |

क्या मन भी तेरा

है वैसा ही कोमल

सीरत है मीठी सी

आनन पर भाव स्पष्ट दीखते |

बदन तेरा नाजुक

खिलती  कली सा है

निगाहें नहीं ठहरतीं

अभिनव सौन्दर्य पर  |

यह सौगात मिली कहाँ से

 ईश्वर की कृपा द्रष्टि रही

क्या तुझ पर ?

या कोई पुन्य कार्य किये थे

पूर्व जन्म में जो यह

पुरस्कार मिला बदले में |

तनिक भी गरूर नहीं  

है सौम्य सुशील सुघड़

तेरे इन  गुणों  पर

 है न्योछावर मेरा मन |

14 जून, 2021

हाइकु


 

१-उलझा मन

आज का परिवेश

देखता रहा

 

२-किसने कहा

 वहां न जाना होगा

हर हाल में

 

३-बीता नहीं है

कोविद काल हुआ

भयावह है

 

४-हैं वन्दनीय

प्रयत्न हैं तुम्हारे

प्रशंसनीय


5-किसने कहा 
प्यार एक तरफा 
होता कठिन 



13 जून, 2021

परीक्षा सब्र की


 

ना लीजिये परीक्षा मेरे सब्र की

आपने मुझे अभी परखा नहीं है

जब मेरे बारे में सोचेंगे मुझे समझेंगे

खुद ही जान जाएंगे मैं  क्या हूँ |

यह तो  अपना अपना नजरिया है

मंतव्य स्पष्ट करे न करे

कोई जोर जबरदस्ती नहीं है

खुद का  विचार भी हो अन्यों जेसा |

मुझे सुहाता स्पष्ट दिया गया मत  

किसी के विचारों से प्रेरित  न हो

स्वनिर्णय पर  अटल रहना चाहती

अन्यों से  प्रभावित हो अपने विचार नहीं देती |

अपना व्यक्तित्व मुझे प्रिय है

 स्वतंत्र हैं विचार मेरे किसी से प्रभावित नहीं

जब अन्य कोई ध्यान देता मेरे विचारों पर

 खुश होता मेरे सोच  के दायरों पर |

आशा 


आशा