13 सितंबर, 2018

रूप तेरा




हाथों में मेहदी ,
माथे पर कुमकुम टीका ,
नयन सजे 
काजल की तीखी कोर से
निगाहें देखते न झपकें
,मन तुझपर रीझा
नथ तेरे नाक की शोभा
गहरे लाल रंग के कपडे
तेरे अंगों पर  सोहें
कामिनी किस पर
बिजली गिरेगी
वह इस छबि को
जो भी देख लेगा
एक बार तुझ पर से
निगाह न हटेगी
इतना सुन्दर रूप तेरा
प्रभु से मिला वरदान में
जहां जाएगी
बहार आ जाएगी |
आशा

12 सितंबर, 2018

वहीं हमारा घर होगा



चल सजनी आ चलें वहाँ
आकाश धरा मिलते जहां
वहाँ छोटा सा घर बनाएँ
हरियाली भरपूर लगाएं
जब भी पंछी वहाँ आएं
दाना चुगें प्यास बुझाएं
कितना सुखद एहसास होगा
तृप्ति का आभास होगा |
संचित सुखद पल जीने को
मन हो रहा बेकल
वह वहीं शांत हो पाएगा
जब तुम्हारा साथ होगा |
परम शान्ति का  अनुभव होगा 
कोई व्यवधान नहीं होगा
प्रभु आराधन में लीन
मधुर ध्वनि मुरलिया की
जब भी सुन पाएंगे
श्रद्धा सुमन बरसाएंगे
परम प्रेम का आगाज़ होगा
जीवन तभी सार्थक होगा
दूर क्षितिज तक कभी
शायद ही कोई पहुंचा होगा
पर हमें न कोई रोक सकेगा
वहीं हमारा घर होगा |


आशा