06 नवंबर, 2021

भूली विसरी यादेँ


 

है ऐसा क्या

 उन यादों में

स्वप्नों में भी 

 यादों से बाहर

न निकल पाई |

लाखों जतन किये

सब  हुए व्यर्थ

मैं ना खुद सम्हली

न किसी को

उभरने दिया |

जितनी भी कोशिश की

सब व्यर्थ हो गई  

यादों का दलदल

पार न कर पाई

उसी में डूबती

उतराती रही |

किसी ने जब

हाथ बढाया

बचाने के किये  

झटका हाथ |

 फिर से वहीं

 डूबती रह गईं

 कोशिश का  मन

अब न हुआ  

उसमें ही खो गई |

यही यादें बनी 

जीने का संबल मेरा 

कहाँ समय बीता

अब याद  नहीं |

आशा 

05 नवंबर, 2021

गेंदे के फूल की खेती


 

तुम गेंदे के फूल

मैं पंखुड़ी तुम्हारी

 सुनहरा रंग पीला

मन में बसा रहता |

 त्यौहार तुम बिन

रहता है अधूरा

जब भी तुम्हारी 

 आती बहार फूलों की  |

खेतों और बागीचों में

जिधर निगाहें जातीं

तुम्हारे बिना

उन्हें अधूरा पातीं |

मेरी प्रसन्नता का

ठिकाना न रहता

बागों में बहार

 देख पुष्पों की |

क्यारी जब सूनी होती

मन को बहुत दुःख पहुंचाती 

रंग तुम्हारा मन को भाता 

और  मन को बहलाता |

आशा 


04 नवंबर, 2021

दीपावली


 

कुम्हार से माटी के

 दीपक लाया

कपास  की  बाती बनाईं 

 स्नेह  डाला उन में |

श्याम को रंगोली के चौक पर 

  दीपक रखे

पूजन के लिए तैयारी की

 विधि विधान से |

खील बताशे सजाए 

 पूजा की थाली में

कुमकुम अक्षत मेंहदी कलावा

 सजाया एक थाली  में

पुष्प और  फुलझड़ी

 सजाई दूसरी में

चौक पर चावल रखे 

 उन पर दिया रखा  |

 की तैयारी पूर्ण  जब 

खुद सजने की बारी आई 

अब है बेसब्री से इन्तजार

 देवी लक्ष्मीं के आगमन का |

धन धान्य से भरे वरद हस्त का 

है आज पर्व  दीपावली का   

क्यूँ न खुशियां मनाएं

 मिलें जुलें सब से स्नेह से |

अपनी  परम्परा निभाएं 

कल होगी गोवर्धन पूजा

परसों है  भाई दूज की यम यमुना  की पूजा 

 समापन पांच दिवसीय दीपावली पर्व का |   

आशा  

रिश्ते कैसे कैसे

 


01 नवंबर, 2021

रिश्ते कैसे कैसे

 


किसी ने बेटी माना दिल से 

 स्नेह का दान दिया  

मैंने कुछ  न चाहा

ना ही जानना चाहा क्या उपहार मिला  |

मैंने प्यार किया दिल से

बिना किसी आडम्बर के

यही क्या कम है

उसे कोई न नाम दिया |

जिन्दगी में कुछ रिश्ते होते ऐसे

जो जन्म से नहीं होते

पर जब बन जाते हैं

 कभी नष्ट नहीं होते  |

अहमियत होती बहुत

इन रिश्तों की

जो निभाता उन्हें

वही इनकी कद्र जानता |

ये सतही नहीं होते

पनपते ही जीवन के

साथ जुड़ जाते

और अंत तक बने रहते |

इनकी मिठास को

 मापा नहीं जा सकता

किसी  प्रलोभन से इन्हें

बांटा नहीं जा सकता |

प्यार दुलार ममता 

इसे क्यों नाम दें

हमारे मन को

 जब चाहे उपहार दें |

आशा   

 

03 नवंबर, 2021

रूप चौदस

                                 पहले  घर स्वच्छ किया सजाया 

आज के दिन भोर होते ही स्नान किया 

नवीन वस्त्र धारण किये

 सजाया सवारा खुद को  |  

बड़ों के  चरण स्पर्श कर

 आशीष लिया उनसे  

दीपक लगा कर ध्यान  किया |

सारा सोंदर्य निखर कर आया

देखा जब दर्पण में खुद को 

आज रूप चौदस है

 दूसरा दिन इस पर्व का | 

देवी के स्वागत के लिए

अपनाया सभी प्रसाधनों को 

देखते ही नजरें  न टिकती थीं 

यही करिश्मा हुआ अब तक |

 रूप की चमक दमक देखी जब

आशीरवाद  दिया लक्ष्मीं  ने  

सदा ऐसी ही बनी रहो

रहो सदा सौभ्यवती

रहो हमेशा भाग्य शाली |

वरदान दिया लक्ष्मीं ने 

सुख समृद्धि से दामन भरे

 सफल जीवन जियो 

आने वाले कल में |

आशा   

02 नवंबर, 2021

पांच दिवसीय दीपावली त्यौहार

 

पांच दिवसीय दीपावली के त्यौहार पर आप सब को हार्दिक बधाई |

चंद पंक्तियाँ  प्रस्तुत हैं-



अपने  घर में चलाया है

 वार्षिक स्वच्छता अभियान 

 घर का कौना कौना पोता  बुहारा

श्री लक्ष्मीं के आगमन की प्रतीक्षा है  |

 दीप प्रज्वलित किये घर बाहर  के 

दीपों की चमक दमक से स्वागत के लिए 

आने वाली देवी लक्ष्मी का   |

खुद सजे बच्चों को सवारा नए परिधानों से

शगुन की फुलझाड़ियाँ लाए

 दीपमाला से धर को सजाया

दरवाजे पर चौक बनाया रंगोली से |
अब इंतज़ार है खील बताशों का 

गुजिया पपड़ी  यदि बन पाएं 

 मजा तो आना ही है |

घर ऐसे चमक रहा है मानों नया बना है  

सब खुश होते  हैं 

एक दूसरे से मिल कर

यही है विशेषता इस  त्योहार की |

दीपावली मनाने की 

नया कुछ लाने की 

पूरे वर्ष इन्तजार रहता इसका 

 है पर्व ही ऐसा |

आशा 

 

   

  

 

31 अक्टूबर, 2021

हूँ तुम्हारी अनुगामिनी



 

 

 

 

 

 

 

 

                                      तुम दीपक मैं बाती

                जब कि  हूँ तुम्हारी अनुगामिनी 

तुममें मुझमें है अंतर

तुम स्नेह की महिमा बिसरा बैठे |

मैं स्नेह के साथ भी बंधी हूँ 

यह तुमने न जाना 

स्नेह के बिना

खुद को अधूरा पाया मैंने |

उसने वह कार्य  किया

जिसकी सदा  रही  अपेक्षा मुझे

स्नेह  सेतु बंध का कार्य

 पूर्ण निष्ठा से करता |

उसके बिना खुद को अकेला पा

कुछ कर न पाती 

वायु का सहयोग भी रहा

 नितांत आवश्यक

हम दौनों के संगम में|

वह यदि कुपित होती

 कभी साथ न देती 

वायु का बेग जागृत 

 न होने देता हमें 

उजाला कैसे होता |

सब एक दूसरे से

 जब सहयोग करते

तभी सफल हो पाते

फिर भी तम

तुम्हारे नीचे रह ही जाता |

 आशा