आज के दिन भोर होते ही स्नान किया
नवीन वस्त्र धारण किये
सजाया सवारा खुद को |
बड़ों के चरण स्पर्श कर
आशीष लिया उनसे
दीपक लगा कर ध्यान किया |
सारा सोंदर्य निखर कर आया
देखा जब दर्पण में खुद को
आज रूप चौदस है
दूसरा दिन इस पर्व का |
देवी के स्वागत के लिए
अपनाया सभी प्रसाधनों को
देखते ही नजरें न टिकती थीं
यही करिश्मा हुआ अब तक |
रूप की चमक दमक देखी जब
आशीरवाद दिया लक्ष्मीं ने
सदा ऐसी ही बनी रहो
रहो सदा सौभ्यवती
रहो हमेशा भाग्य शाली |
वरदान दिया लक्ष्मीं ने
सुख समृद्धि से दामन भरे
सफल जीवन जियो
आने वाले कल में |
आशा
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |दीपावली की शुभ कामनाएं |
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंआलोक जी धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
वाह ! बहुत खूब ! रूप चौदस पर सच में रूप निखर आया !
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