जब से नौकरी लगी है
आफ़िस तो देखा नहीं
बंगले पर हूँ तैनात
क्या करूं
जी हजूरी आजकल बेहद
जरूरी हो गई है
यदि स्थाई होना हो तो
ऐसी सेवा है आवश्यक
साहब से पहले बाई साहब का
हर हुकुम मानना पड़ता है
तभी फाइल स्थाई होने की
आगे बढ़ पाती है
तब गर्व से कह पाते हैं
हम स्थाई हो गए
जी हजूरी आजकल है बहुत जरुरी
अब पहले से भारी हो गए हैं
लोग पहले हम से पूंछते हैं
साहब का मूड कैसा है
आज मिलें या कल |
जो आते हैं मुट्ठी गर्म कर जाते हैं
|कहते हैं यह रिश्वात नहीं
है एक छोटा सा नजराना
नन्हें मुन्ने बच्चों के लिए
और यह तुम्हारे लिये टिप
आशा