है आज मुश्किल धड़ी
सोच कर हूँ परेशान
कैसे पिंड छुटाऊँ
उन यादों से
जिनका कभी असर
मन पर गहरा पड़ा
मन का सुख छीन ले गया
यादें जो मीठी हैं
कभी कभी ही दस्तक देती हैं
मन के दरवाजे पर
पर कटु बातें तो
डेरा जमाएं बैठी हैं
है बहुत मुश्किल उनसे
पिंड छुड़ाकर दूर जाना
खुशहाल जिन्दगी जीना
सोच रही हूँ कोई तरकीब
कटु यादों को भूल कर
नई शुरुबात जिन्दगी में
प्रसन्न रहने की करू |
आशा
आशा
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