बाल अरुण की स्वर्णिम किरणें
यहाँ हैं बर्फ की चादर पर
हिम बिंदु भी यदाकदा छू जाते
मेरे तन मन को
एहसास तुम्हारा होता
फागुन के आने का होता
पर हुई छुट्टी निरस्त
आना संभव ना होगा
राह तुम मेरी न देखना
इन्तजार मेरा ना करना
मुझे पता है तुम रो रही हो
डबडबाई आँखों से
बहुत कुछ कह रही हो
अरे तुम फौजी की पत्नी हो
मुझ से भी जांबाज
विचलित क्यूं हो रही हो
सीमा पर आने के पहले
तुमने ही बढाया था मनोबल
कहा था होली होगी लाल रंग की
बहता हुआ रक्त होगा
पर मन में मलाल ना लाना
अपने ध्येय पर अटल रहना
सौहार्द्र का सम्मान करना
आज तक तुमसे किये
वादे को भूला नहीं हूँ
कठिन मार्ग भी मुझे
लगते व्रन्दावन की गलियीं
आतंकी रक्त की खेलते होली
अन्य रंग नहीं हैं तो क्या
गुलाल का अम्बार लगा है
मै ध्येय से विचलित नहीं हूँ
है लक्ष्य एक ही मेरा
जियूँगा देश हित के लिए
मरूंगा सीमा सुरक्षा के लिए
ओ मेरी भोली प्रिया
अपने वादे पर अटल रह
हर मानक पर खरा उतरूंगा |
आशा
हर मानक पर खरा उतरूंगा |
आशा