09 सितंबर, 2016
08 सितंबर, 2016
भाग्य उसका
बर्फ में दफन हुआ था
भाग्य ने उसे बचाया
पर साँसें थी गिनती की
उसकी जिन्दगी की
चमत्कार हुआ वह बचा
पर कुछ पल ही रह पाया
सभी यत्न असफल रहे
जीवन पुनः देने के
यह भाग्य न था
तो और क्या था
शहादत देने वालों में
एक नाम और जुड़ गया |
आशा
आशा
05 सितंबर, 2016
गुरू शिष्य
योग्य धनुर्धर होने को
हो पूर्ण ध्यान निशाने पर
लक्ष्य भेदन तभी संभव
जब एकाग्र हो मन निरंतर
शिक्षा थी गुरू की यही
स्वीकार जिसे शिद्दत से किया
ध्यान तभी केन्द्रित हुआ
तीर निशाने पर लगा
है अति विशिष्ट
गुरू शिष्य का नाता
काल पुरातन से आज तक
कोई भ्रमित न इससे हुआ
जैसे पहले महत्त्व था इसका
आज भी वह कम न हुआ
|शिक्षा जिससे भी मिले
शिरोधार्य शिष्य करे
तभी पूर्णता का भास् हो
शिष्य का विकास हो |
आशा
सदस्यता लें
संदेश (Atom)