वह जब भी अकेला होता है
सोचता पापा कब आएँगे
एक रात छत पर
तारों भरे अम्बर के नीचे
वही प्रश्न किया दादी से
कुछ क्षण मौन रहीं
फिर इंगित किया एक तारे को
तेरे पापा हैं वहाँ
अब तू जल्दी से सो जा |
वह अब रोज तारे देखता
मन ही मन प्रार्थना करता
पापा जल्दी आओ ना
मुझे अपने पास सुलाओ ना |
दादी का सिर सहलाना
हल्की हल्की थपकी देना
जाने कब नींद आ जाती
वह सपनों में खो जाता |
एक रात एक तारा टूटा
उसे नीचे आते देखा
सोचा पापा आते होंगे
पर वे नहीं आए |
सुबह हुई वे जब ना मिले
दादी से फिर प्रश्न किया
टूटा तारा गया कहाँ
पापा क्यूँ नहीं आए ?
दादी हौले से बोलीं
जब भी कोई तारा टूटता है
किसी को भगवान बुला लेता है
वही प्रश्न और वही उत्तर
पर हल खोज नहीं पाया
पापा का प्यार पाने के लिए
नन्हा सा दिल तरस गया |
जब दरवाजे पर दस्तक होती
या क़दमों की आहट होती
वह पापा की कल्पना करता
हर रात यही सोचता कि पापा आएंगे |
तारों को रोज देखता
जाने कब आँख लग जाती
और मन की जिज्ञासा
अधूरी ही रह जाती |
आशा
वह अब रोज तारे देखता
मन ही मन प्रार्थना करता
पापा जल्दी आओ ना
मुझे अपने पास सुलाओ ना |
दादी का सिर सहलाना
हल्की हल्की थपकी देना
जाने कब नींद आ जाती
वह सपनों में खो जाता |
एक रात एक तारा टूटा
उसे नीचे आते देखा
सोचा पापा आते होंगे
पर वे नहीं आए |
सुबह हुई वे जब ना मिले
दादी से फिर प्रश्न किया
टूटा तारा गया कहाँ
पापा क्यूँ नहीं आए ?
दादी हौले से बोलीं
जब भी कोई तारा टूटता है
किसी को भगवान बुला लेता है
वही प्रश्न और वही उत्तर
पर हल खोज नहीं पाया
पापा का प्यार पाने के लिए
नन्हा सा दिल तरस गया |
जब दरवाजे पर दस्तक होती
या क़दमों की आहट होती
वह पापा की कल्पना करता
हर रात यही सोचता कि पापा आएंगे |
तारों को रोज देखता
जाने कब आँख लग जाती
और मन की जिज्ञासा
अधूरी ही रह जाती |
आशा