है यह कैसा न्याय प्रभू
धनिक फलता
फूलता
गरीब और गरीब हो जाता
अपनी बेबसी पर रोता |
भोजन का अभाव सदा
भूखा उठाता भूखा सुलाता
अन्न के अभाव में
वह जर्जर होता जाता |
अमीर कद्र न जानता
पेट भरा होने पर
अनादर अन्न का करता
घूरे तक पर फैकता |
आया हूँ तेरे द्वार आज
न्याय की अपेक्षा है
खाली हाथ न लौटाना
होगा तेरा उपकार प्रभू |
भूखे को भोजन देना
अपना संरक्षण देना
प्यार की सौहाद्र की
उपेक्षा न होने देना |
अमीर गरीब के मध्य
खाई बढ़ न जाए
सौहाद्र बनाए रखना
सम दृष्टि सभी पर रखना |
आशा