08 अप्रैल, 2023

जिस दिन से (हाईकू)


 

१-जिस दिन से

खेल प्रारम्भ  हुआ 

  मजा आया है 

२-जिन्दगी नहीं   

सरल सीधी लकीर 

 कांटे  हैं यहाँ  

३- उलझन है

मार्ग सरल नहीं 

कोशिश करो 

                                     4-सागर नहीं

गहरा सरोबर

पास  खाई है 

५-कितना भय

जल कलकल से

भय  ना कर

आशा सक्सेना 

07 अप्रैल, 2023

सांझ की बेला में



दिन की तेज  धूप  सहते

जन मानस और जंगल में वृक्ष हरे भरे 

धरती  भी हो जाती  गर्म

गर्मीं में तरसती ठंडक के लिए |

संध्या की राह देखते तब सूरज अस्त होता 

वह गोल थाली सा दिखता

 कभी पेड़ों के पीछे से झांकने लगता     

 आसमान सुनहरा हो जाता

दिखते  पक्षी घर को जाते

 दृश्य बड़ा मनोरम होता |

हम दिन में व्यस्त रह कर जब थक जाते 

अपने घर आते वहां स्वर्ग नजर आता

छत पर पानी छिड़क ठंडा करते   

वहीं बैठ थकान कम करते |

फिर बाग़ में सैर को निकलते

बच्चे खुश होते जब बाग़ में घूमते

जब रात को  हर ओर रौशनी हो जाती

यह घर लौटने का संकेत होती |

शाम के धुधलके के प्रसार से

आसपास  ताज़गी का माहोल होता

फिर जीवंत हो जाते सांझ की बेला में  

स्फूर्ति को संचित करते कल के किये 

यही व्यस्तता रहती प्रतिदिन |

घर आते ही अपने काम में व्यस्त हो जाते 

 बच्चे अपने अध्यन  में अच्छे भविष्य के लिए 

अच्छे प्रतिफल के लिए हम भी होते सहायक उनके 

 ज़रा भी आलस्य नहीं करते सांझ की बेला में  |

आशा सक्सेना 

06 अप्रैल, 2023

हाइकू

 १-उस  ने कहा

जन्म महावीर का

सब मनाते

२-जन्म दिन है 

राम के  हनुमान

हम  मनाते

३-राम भक्त हैं  

सीता राम भक्त हुए

हनुमान जी 

४-राम रहीम

सदा एक साथ हैं

मेरे मन में  




05 अप्रैल, 2023

कहाँ जाएं किससे करे शिकायत

 


कहाँ  जाए किस से करें शिकायत

अपना कोई नहीं जिसको अपना कहना चाहा

वह गैरों से भी अलग  लगा

 दिखावा ही दिखावा देखा उसके व्यवहार में |

जिसने  अपना  अधिकार जताया

जानने का रिशता  किसी के साथ बताया

दाल में काला नजर आया |

फिर मन न हुआ उसे  अपनाने का

जब मां ने कहा यह है खून का रिश्ता

 तभी अपनाने का मन बनाया

फिर भी पहले जाना परखा तभी अपनाया  |

जब भी उसका व्यवहार देखा

मन में संतुष्टि का आभास

बड़ों के तजुर्वे का हुआ एहसास

मन में शान्ति का अनुभव हुआ |

आशा सक्सेना

 

 

04 अप्रैल, 2023

किसी के प्यार को कैसे समझे

 

किसी से क्या चाहिए जब

अपनों ने  ही साथ ना  दिया हो

कभी दो शब्द अपनेपन के

सुनने को कान तरसे |

हम तो घर से दूर रहे

किसी से ना की अपेक्षा कोई

अपने में सक्षम रहे

जीवन भरा कठिनाइयों से

सुख के पल देखे जरा से |

डेरा डाला दुःख ने

 बड़ी उलझने आईं

 एक बात समझ में आई

सुख के सब साथी होते

दुख में  कोई नही होता अपना |

अब घबराने से क्या लाभ होगा

जब अकेले ही जीवन भर रहना है

जब तक रहा साथ तुम्हारा

जीवन में विविध रंग रहे

कभी किसी अभाव का

हुआ ना एहसास |

जीवन है कितना

किसी ने बताया नहीं

कब सांस बंद हो जाएगी

 किसी को पता नहीं

सांस रुकने के पहले

शेष काम करना हैं

 कोई कार्य अधूरा ना रहे

 यही सोचना है |

उन्मुक्त जीवन जिया है अब तक

बंधन नहीं चाहिए कोई

 और यही है प्रार्थना प्रभू से |

आशा सक्सेना          

 


03 अप्रैल, 2023

भ्रमर

 





एक बगीचे में भ्रमर और तितलिया

साथ साथ रहते थे

 दौनों की थी मित्रता घनिष्ट

वहा के पुष्पों से |

पर भ्रमर  का मन चंचल

फूलों पर केवल अपना ही

अधिकार समझता

तभी जब नज़दीक उसके  पुष्पों खिलते

वह फूल  पर  बैठ प्यार जताता |

मन भरते ही

एक पुष्प  से दूसरे  पर उड़ जाता

संतुष्ट उसका मन होता

 यही उसका गुंजन दिखाता |

पर तितलियाँ कुछ

अलग सा  व्यवहार करतीं

पुष्प गंघ का आनंद लेतीं

फिर दूसरे पर उड़ जातीं |

तितली  रंगीन पुष्प भी रंगीन

बाग़ में जब उड़तीं

बच्चों को बहुत आकर्षित करतीं

बच्चे घर जाना ही नहीं चाहते |



आशा सक्सेना