पूरब गया
पश्चिम को जाना है
पर न गया
कल्पना न थी
कभी घर से दूर
गए ही नहीं
अरमा शेष
कोई नहीं रहता
यदि इच्छा हो
मन बंधक
तब भी हो सकता
जब चाहता
सीपी में मोती
सागर में मिलते
खारे पानी में
आशा
कल्पना न थी
कभी घर से दूर
गए ही नहीं
अरमा शेष
कोई नहीं रहता
यदि इच्छा हो
मन बंधक
तब भी हो सकता
जब चाहता
सीपी में मोती
सागर में मिलते
खारे पानी में
आशा