सतत आगे बढ़तीं
मिलतीं चौराहे पर
अपनी व्यथा बांटने के लिए |
लगती बहुत आहत
तपते सूर्य की गर्मीं से
बेहाल हैं ,झुलस रही हैं
क्यूँ कि आसपास के
वृक्ष जो कट गए हैं |
छाँव का नामोंनिशान नहीं है
ऊपर से आना जाना
भारी वाहनों का
काँप जाती हैं वे
उनकी बेरहम गति से |
अंतस में हुए गर्त
कारण बनते
दुर्घटनाओं के
लेते परीक्षा उनके धैर्य की |
पर वे हैं कहाँ दोषी
अपराधी तो वे हैं
जिनने उन्हें बनाया है |
वे तो जूझ रही है
अनेकों समस्याओं से
परीक्षा दे रही है
अपने धैर्य की |
कभी तो कोई तरस खाएगा
उनके किनारे पेड़ लगाएगा
हरियाली जब होगी
तपते सूरज से
कुछ तो राहत मिलेगी|
आशा