08 फ़रवरी, 2019

गुलाब
























गुलाब तो गुलाब रहेगा
चाहे जिस भी रंग का हो
चाहे जिस काम आए
उसकी सुगंध वैसी ही रहेगी
जब प्रेमी को दिया जाए
या भगवान को चढ़ाया जाए
या अर्थी की शोभा बने
जाने वाले को विदा करे
या हो रस्मअदाई
हो अकेली या गुलदस्ते में
उसे तो समर्पण करना ही है
चाहे भक्ति के लिए
 लाया गया हो
या प्रेम प्रदर्शन का माध्यम बने
आत्म हनन करना ही है
स्वेच्छा से या अनिच्छा से
है वह  परतंत्र
 स्वतंत्र छवि  नहीं उसकी
जब पेड़ पर होता है
 काँटों से घिरा होता है
तोड़ मरोड़ कर
 चाहे जब पैरों के तले
 मसल दिया जाता है
राह पर फैक दिया जाता है
उसकी है नियति यही |

आशा

06 फ़रवरी, 2019

नजर अपनी अपनी








है नजर अपनी अपनी
  जैसा सोचते है वही दिखाई देता है
जो देखना चाहते हैं अपने   नजरिये से
करते  हैं टिप्पणी अपने ही अंदाज में
कभी सोच कर देखना
एक ही इवारत पर
 अलग अलग टिप्पणीं होती हैं कैसे ?
यही तो फर्क है लोगों  के नजरिये में
कारण जो भी रहता हो
 पर  है  सत्य यही  
जिसे दस बार देख कर
 कोई पसंद नहीं आता
एक ही नजर में वही
 अपना सुख  चैन  गंवा देता है
कुछ लोग ऐसे होते हैं
 जो होते  निश्प्रह
ठोस धरातल पर रहते हैं
उन  पर अधिक   प्रभाव  नहीं
जो भी जैसा सोचता
 वही उसे नजर आता
यह तो है प्रभाव  अपनी सोच का 
आज के सन्दर्भ में बदले सोच का
अक्स स्पष्ट नजर आता है
कहीं कोई चित्र न बदलता
 पर बदलाव नजर आता है
एक ही लड़की किसी को
 दिखाई देती जन्नत की  हूर
किसी और  को वही बेनूर नजर आती
है अलग  अंदाज  अपनी सोच का
नजर नजर का फेर है
 कोई कह नहीं सकता
 किसका है कैसा नजरिया
 कोई सोच नहीं पाता
 है क्या पैमाना नजर की  खोज का |
आशा
                             

03 फ़रवरी, 2019

शाम कोई फिर सुहानी चाहिए






व्यस्तता इतनी कि
सर उठाने की फुरसत नहीं
पर कभी बेचैनी मन की
  रुक नहीं पाती
 वह  चाहती है
 शान्ति की तलाश
शाम की बेला में
 कहीं  विचरण करना
शाम कोई फिर सुहानी चाहिए
हरियाली मखमली बिछी हो
रंग बसंती दे दिखाई  दूर तक 
बयार वासंती चुहल करे फूलों से
 उसमें  बसे  फूलों की महक
पक्षियों की मधुर  चहचहाहट
और  हो  एहसास
 पुरसुकून जिन्दगी का
जागृत हो भावों का मेला
न हो तन्हाई का झमेला
चारों ओर हों खुशरंग चहरे
 कलम और कॉपी लिये
और हों लालायित
कुछ नया लिखने के लिये
शाम कुछ  ऐसी ही
 सुहानी  होना चाहिए
संध्या हो रूमानी सुहानी 
और  जीवंत मुखर
बस  है मन की आकांक्षा यही
शाम कोई ऐसी  ही होना चाहिए  |

आशा