21 जनवरी, 2017

है कौन


आप जब भी करीब आए
एहसास अनोखे जागे
पर एतवार नहीं होता
वे सत्य हैं या छद्म रूप
जान जाइए
कभी सत्य नजर आते
कभी विचारों में बिलमाते
है ममता प्यार या दिखावा
या ओढ़ा हुआ आवरण विशेष
पहचान जाइए
है ऐसा क्या उसमें
नजदीकी ही बताएगी
जब पूर्ण आकलन हो
आभास से ही उसको
जानने का जज्बा हो
तभी जान पाएंगे
उसे पहचान पाएंगे
है शबनम में भीगा गुलाब
आज में उसे जानते हैं
मन में ही सही
उसे जान जाइए
पहचान जाइए |
आशा

19 जनवरी, 2017

तनाव




निगाहें उसकी
तरस गईं
तेरी एक झलक
 पाने को
दरवाजा तक
खुल गया है
वीराने में
बहार आजाने को
अब देर क्या है
होगा तुझे ही पता
क्या रखा है
इसा तरह
उसको तरसाने में
एहसास प्यार का
ले आया उसे
तुझ तक
जब तुझसे
दूरी हुई
जिन्दगी सराबोर हुई
तेरी यादों में
सिमट कर
उनमें ही
डूबी रहती है
बाक़ी सब को
भूल गई
यह अन्याय नही
तो और क्या है 
तुझसे दूरिया उसकी 
सजा नहीं तो क्या है 
प्यार में कटुता
 कहाँ से आई है
हम ठहरे गैर 
नहीं जानते 
आखिर क्या
 चल रहा है 
दौनों में 
हम से यदि 
सांझा किया होता 
शायद कुछ
सहज हो पाते 
तनाव से होते दूर 
अपना प्यार बाँट पाते |
आशा





16 जनवरी, 2017

छाया



हूँ मैं छाया तेरी
तुझ से
 दूर न रहूँगी
जहां जहां तू चलेगा
  साथ मुझे पाएगा
जब रात का
साया होगा
नींद की खुमारी होगी
तब भी
देखा जा सके या नहीं
पर तेरे आस पास
 ही रहूंगी
तू चाहे या ना चाहे
साथ नहीं छोडूंगी
तू दीपक मैं बाती
तुझसे ही
 बंधी रहूंगी |

आशा







आशा