बहुत कुछ बदल रहा है
ना हम परम्परा वादी रहे
ना ही आधुनिक बन पाए |
हार गए यह सोच कर
हम क्या से क्या हो गए
किसी ने प्यार से पुकारा नहीं
हमने भी कुछ स्वीकारा नहीं मन से |
किसी बात को मन में चुभने से
रोका भी नहीं गंभीरता से
विचार भी नहीं किया किसी को कैसा लगेगा
हमारे सतही व्यवहार का नजारा |
कोई क्या सोच रहा हमारे बारे में
इसकी हमें भी फिक्र नहीं
यही है आज आपसी व्यवहार का तरीका
किसी से नहीं सीखा दिखावे का राज |
इस तरह के प्यार का तरीका
जब देखा दूसरों का आना जाना
मन का अनचाहे भी मिलना जुलना
चेहरे पर मुखोटा लगा
घंटों वाद संवाद करना |
सभी जायज हैं
आज के समाज में
हर कार्यक्रम में छींटाकसी करने में
खुद को सबसे उत्तम समझने में |
सब का स्वागत करने के लिए
मन न होने पर भी दिखावा करना
दूसरे के महत्त्व को कम जताना
यही है आज का चलन |
आशा