17 जुलाई, 2018

हिंडोला गीत







चलो  री सखी चलें अमराई में
झूलन के दिन आए
नीम की डाली पे झुला डलाया
लकड़ी की पाटी  मंगवाई
रस्सी मगवाई बीकानेर से
भाबी जी आना भतीजी को भी लाना
काम का  समय निकाल कर पर आजाना
गाएंगे सावन के गीत
यादें ताजा कर लेगे  
न आने का बहाना न बनाना
हम तुम मिल कर बाँटें मेंहदी 
हाथों में दिन भर लगाएं मेंहदी 
झूलें सब से ऊंची डाली पर
फिर सावन के  गीत
झूम झूम कर गाएं
मींठी खीर घेवर खाएं
फेनी पूए का भोग लगाएं
हम और तुम पेंग  बढाएं
ऊंची डाली चूमती आएं
सूरज से हाथ मिलाऐं
छोड़ो झूला रस्सी
अब मेरी बारी 
झूलने की आई |

  
आशा