चलो री सखी चलें अमराई में
झूलन के दिन आए
नीम की डाली पे झुला
डलाया
लकड़ी की पाटी मंगवाई
रस्सी मगवाई बीकानेर
से
भाबी जी आना भतीजी
को भी लाना
काम का समय निकाल कर पर आजाना
गाएंगे सावन के गीत
यादें ताजा कर लेगे
न आने का बहाना न
बनाना
हम तुम मिल कर बाँटें मेंहदी
हाथों में दिन भर लगाएं मेंहदी
हाथों में दिन भर लगाएं मेंहदी
झूलें सब से ऊंची डाली
पर
फिर सावन के गीत
झूम झूम कर गाएं
झूम झूम कर गाएं
मींठी खीर घेवर खाएं
फेनी पूए का भोग लगाएं
हम और तुम पेंग बढाएं
ऊंची डाली चूमती आएं
सूरज से हाथ मिलाऐं
छोड़ो झूला रस्सी
अब मेरी बारी
झूलने की आई |
फेनी पूए का भोग लगाएं
हम और तुम पेंग बढाएं
ऊंची डाली चूमती आएं
सूरज से हाथ मिलाऐं
छोड़ो झूला रस्सी
अब मेरी बारी
झूलने की आई |
आशा
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