28 अक्टूबर, 2022

मन का संयम

 



                                                     मेरी चाहत है खोलो मन की ग्रंथियां

मन को भरम से दूर करो

फिर देखो सोचो समझो

मन को ज़रा सा सुकून दो |

तभी जीवन की उलझने

पूरी तरह  सुलझ पाएंगी

जीवन में बहार आएगी

 जीवन खुशनुमा होगा |

मन में बहार आएगी

अपने आप उसको सुकून मिलेगा

जिन्दगी में प्रसन्नता आएगी

प्यार की ऊष्मा छाएगी |

किसी से उलझने से है लाभ क्या

यह तो समझ का है फेर समझो

मन को संयत करो आत्म संयम से काम लो

देखो नेत्र खोल कर तुम भी समझ जाओगे |

भावनाओं में न बहोगे

यदि मस्तिष्क से काम लोगे

सही क्या है गलत क्या

अपनी क्या भूल हुई है जान जाओगे |

आशा सक्सेना

27 अक्टूबर, 2022

वे प्यार भरी रातें


 वे प्यार भरी रातें 

मनुहार से भरी बातें 

मुझे याद रहती हैं 

उन्माद भरी सौगातें |

जब मन को सम्हाला था अपने 

कितना  अवेरा था उसे बड़े कष्टों के बाद 

अब कोई बाधा नहीं चाहती उस अवसाद के वाद |

न जाने क्यों  कोई मुझे पनपने नहीं देता 

उस हादसे के   बाद 

न जाने कैसी उस  की शत्रुता ने जन्म लिया है |

नाही मैंरी कोई रुझान  है कभी

ना तो  अंध भक्ति की है 

पर अवसाद ने ऐसा घेरा है मुझे 

कैसे  मुक्त हो पाउंगी  उससे |

पिंजरे में बंद मैना हो कर रह गई हूँ 

मुझे समझ न पाया कोई 

प्रातः  उठ कर  जीवन को प्रवाह देती हूँ 

श्याम तक थक कर चूर हो जाती हूँ |

मन फूटफूट कर रोने को मचलने लगता है

हार जाती हूँ जीना चाहती हूँ उस  बीते कल में 

मुझे ऐसा साथी  चाहिए

जो मुझे 

बहुत प्यार से अपनाए

  कभी धोखा न दे अपनी बातों से 

बात अपनी  बड़े  धीमें धीमें मनवाए |

फिर वहीं नजारा हो पहले जेसा 

 जो वाट देखते  रहने को जी चाहता हो 

फिर से देखने को मुझे उत्सुक रखता हो 

अपने आप में संयत रखता हो |

25 अक्टूबर, 2022

सरोवर

 


 

 


हमारे ग्राम में एक छोटा सरोवर
है जल से लबालव
कभी जल सूखता नहीं उसका
वर्ष भर जल की कमी न होय वहां पर|
रोज जल भरने आतीं गांव की गोरी 
हँसी खुशी से भर जातीं पूरी वादी
वहां पर एक पवन का झोका आता
साथ अपने ले जाता लहरें वहां की 
मन को उद्द्वेलित कर जाता 

दृश्य बड़ा मनोरम होता वहां जाने का मनोरथ |

आशा सक्सेना 


24 अक्टूबर, 2022

दीवाली पूजन है आज



 आज सब को शुभ कामनाए  हैं 

जाना है जाओ पर

कब आओगे बता जाना

वरना वह बाट जोहेगी

उसके मन को ठेस लगेगी |

यदि समय न हो पहले से बताना

वह इंतज़ार नहीं करे

अपना समय व्यर्थ न गवाए

न ही झूटी तसल्ली दे मन को |

वैसे तो साल भर का त्यौहार है 

उसे तो आस रहेगी तुम्हारे आने की

 यदि कारण बता कर जाओगे 

उसके मन को अवसाद न होगा  

  सोचेगी जब आवश्यक कार्य

 जो तुमने चुना है  होगा समाप्त

तुम कोशिश करोगे वहां पहुंचोगे   |

तुम्हारी  झलक देखते  ही

 उसका  मन खिल उठेगा गुलाब सा 

उसका अवसाद जाने कहाँ  गुम हो जाएगा

मन मयूर सा थिरकने लगेगा |

यही तो वह चाहती है

दौनों मिल कर स्वागत करेंगे 

देवी लक्ष्मी धन की  देवी  का 

दीप जला कर और प्रसाद दे कर |

 इन्तजार जो किया पूरे मन से सफल होगा 

जब देवी प्रसन्न होंगी

 वरदान देंगी उसके सच्चे मन की चाह को 

उसका घर भर देगी धन धान्य से 

सच्ची  ममता के द्वार  से |  

 

आशा सक्सेना

 

 

 

23 अक्टूबर, 2022

दीपावाली पूजन -


                                                   आज रात गहन अन्धकार अमावस का

घर घर दीप जले देहरी रौशन करने को

लक्ष्मी देवी के पूजन करने को

घर का कौना कौना चमकाने को |

दीपावली मनाई इस दिन बहुत उत्साह से

मीठे मीठे पकवान बनाए जाते

 देवी की अर्चना के बाद

 फिर सब मिठाई बाँट कर खाते हैं |

 स्नेह से छोटे पैर छूते बड़ों के और आशीर्वाद लेते उनसे |

यही त्यौहार दीपावली का मनाया जाता

मन के अन्दर के भावों  से

देवी लक्ष्मीं जिस से  प्रभावित होतीं

आशीर्वाद भर झोली देतीं अपने भक्तों को |  

देवी प्रसन्न हो गोदी भर अन्न धन

 दौलत देतीं अपने भक्तों को

 भक्ति का वरदान देतीं दिल भर कर

भक्तों का मन जीत लेतीं अपने प्रभाव से |

हर वर्ष इसे मनाया जाता दीपावली के रूप में

खुशियाँ मिल कर बांटी जाती मिष्ठानों के रूप में

बचपन में खूब चलाए जाते फटाके राह दिखाते

आने वाली देवी को घर के सभी लोग उपासक

हो जाते पूरे समर्पण भाव से |

आशा सक्सेना