28 अक्तूबर, 2022

मन का संयम

 



                                                     मेरी चाहत है खोलो मन की ग्रंथियां

मन को भरम से दूर करो

फिर देखो सोचो समझो

मन को ज़रा सा सुकून दो |

तभी जीवन की उलझने

पूरी तरह  सुलझ पाएंगी

जीवन में बहार आएगी

 जीवन खुशनुमा होगा |

मन में बहार आएगी

अपने आप उसको सुकून मिलेगा

जिन्दगी में प्रसन्नता आएगी

प्यार की ऊष्मा छाएगी |

किसी से उलझने से है लाभ क्या

यह तो समझ का है फेर समझो

मन को संयत करो आत्म संयम से काम लो

देखो नेत्र खोल कर तुम भी समझ जाओगे |

भावनाओं में न बहोगे

यदि मस्तिष्क से काम लोगे

सही क्या है गलत क्या

अपनी क्या भूल हुई है जान जाओगे |

आशा सक्सेना

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