28 मई, 2016

झूला बाहों का

दाल पर झूलता बच्चा के लिए चित्र परिणाम
आई छुट्टी गर्मीं की
कोई काम न धाम
सड़क नाप बाग़ में पहुंचे
थी झूले की तलाश
एक डाल मजबूत दिखी
पर रस्सी तब भी न मिली
थी हाथों में शक्ति
डाली पर लगाई छलांग 
 अब प्रयत्न सफल हुआ
वही डाल झूला बनी
आनंद से उत्फुल्ल हुए
मित्रों को करतब दिखा
फूले नहीं समाए 
नए करतब की तलाश में
 दिमागी  घोड़े दौड़ाए |
आशा

27 मई, 2016

छितराए बादल


मैंने तुझे बंधक बनाया 
अच्छा किया
नहीं तो तू भाग जाता
बूँद बूँद के लिए तरसाता
बदरा है तू कितना निष्ठुर
आता है चला जाता है
ज़रा भी तरस नहीं खाता
जल बिन जीवन कैसा होगा
कभी सोचना नहीं चाहता
यूं तो जल की कमीं नहीं
दो तिहाई समुन्दर है
पर है उसमें खारा जल
उस जल का क्या करें
प्यास बुझ नहीं सकती
आए दिन उसकी लहरें
सीमा छोड़ कर अपनी
जब उत्पात मचाने लगती 
जन जीवन होता प्रभावित
उत्पात मचाती तरंगों से
तेरा भागना इस तरह
मुझे अच्छा नहीं लगता
मान मेरी बात
गति अपनी नियंत्रित कर
यदि तू समय का ध्यान रखेगा
सभी तुझे सराहेंगे
तेरी अवमानना न होगी
तुझे भी प्रसन्नता होगी |
आशा

25 मई, 2016

तूफान क्या डराएगा

तन्हाई के लिए चित्र परिणाम
कहीं मन में दुविधा न थी
उत्साह था जूनून था
पार उतर ही जाएंगे
दृढ़ता लिए विचार था
 यही सोच पर्याप्त रहा |
डाली  कश्ती तभी  अपनी  
इतने बड़े भव सागर में 
हमें तूफान क्या डराएगा 
हस्ती हमारी देख कर
 खुद ही शांत हो जाएगा |
 हमने कण कण देखा 
हर संकट से दो चार हुए   
  मझधार में फंसे तो क्या
पार उतर  ही जाएंगे
जब जीवन से नहीं हारे
हमें तूफान क्या डराएगा |

आशा