![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiuZatftlg1xbWMIMhViV7URLhVd49zrE7xRDgHlBg9J2qbXR-jjy9bi-qWbDhnaZQvkgfjhWcBDxLOEEpxuugoMNF6LbwwQxuMDYZ-0W8BHmdWps6jsWUOX4P19UOkQ0ZxUrtIckjYotw/s320/images.jpeg)
कोरी स्लेट पर ह्रदय की
कई बार लिखा लिख कर मिटाया
पर कुछ ऐसा गहराया
सारी शक्ति व्यर्थ गयी
तब भी न मिट पाया |
कितने ही शब्द कई कथन
होते ही हैं ऐसे
पैंठ जाते गहराई तक
मन से निकल नहीं पाते |
बोलती सत्यता उनकी
राज कई खोल जाती
जताती हर बार कुछ
कर जाती सचेत भी |
कहे गए वे वचन
शर शैया से लगते हैं
पहले तो दुःख ही देते हैं
पर विचारणीय होते हैं |
गैरों की कही बात
शायद सही ना लगे
पर अपनों की सलाह
गलत नहीं होती |
शतरंज की बिछात पर
आगे पीछे चलते मोहरे
कभी शै तो
कभी मात देते मोहरे |
फिर बचने को कहते मोहरे
पर कुछ होते ऐसे
होते सहायक बचाव में
वे ही तो हैं,
जो अपनों की पहचान कराते |