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09 दिसंबर, 2023
कोशिश .में कमी न होनी चाहिए
कोशिश में कमी होनी न
चाहिये
प्रयत्न करते रहना चाहिए
पूरी शिद्दत से |
है जीवन एक जटिल पहेली
नहीं आसान इसे हल करना
इसको हल करने में
जीवन बीत जाएगा |
हल निकले जब
कोई
खुद को सफल मान लेना
और असफल रहने पर
कभी हार न मानना |
फिर से प्रयास रत
रहना
सफलता हाथ आते ही
खुद को सक्षम समझना
यही एक तरीका है खुश रहने का |
वही सफल है जीवन में
जो असफल होने से
नहीं डरे
हार नहीं माने किसी से
किसी बैसाखी की चाह
रहे |
आशा सक्सेना
07 दिसंबर, 2023
करवटें बदलती जिन्दगी
करवटें बदलती जिन्दगी
जिन्दगी करवटें लेते गुजरी
कोइ काम किया ना किया
कुछ भी रचनात्मक न हो सका
जीवन जिया या ना जिया हमने |
किसी भी आकर्षण ने बरबाद ना किया
मनमानी की आदत ने
समाज से भी दूर किया
खेरियत यही रही सीधी राह पर चले
यहाँ तक आते आते राह नहीं भटके
बचपन में जो देखा सुना था
गहरा प्रभाव रहा मन में |
एक बात अच्छी रही
किसी का प्रभाव नहीं पड़ा मन में
अपना वजूद ना खोया हमने |
हम तो हम थे अंधभक्त नहीं
जहां थे वहीं रहे आगे बढ़ने की चाह में
कुछ नया नहीं सीखा हमने सद्गुणों के
सिवाय
कुप्रभाव से दूर रहे यही क्या कम है |
किसी के प्रभाव में नहीं आए
कितनी बार विचार मन में आया
अकेले जीवन गुजरेगा कैसे
किसी को समय नहीं हमारे लिए |
पुस्तकों से अच्छा कोई मित्र नहीं
समय कहाँ कट जाता है पता नहीं चलता |
क्षणिका
दो शब्द खो गए दूसरे शब्दों में
हिरा गए कहीं
खोजा मन के हर हर कौने में
बाहर भी खोजा गहराई से सिर्फ वहीं नहीं
मेरे मेरे भाव भी किसी काजल की कोठारी में |
झुकाव धर्म की ओर
झुकाव धर्म की ओर
हुआ जीवन अधूरा तुम्हारे बिना
पहले भी खालीपन रहता था
जब कभी तुम बाहर जाते थे
जल्दी ना लौट पाते थे |
आते ही मेरी शिकायतों की
दुकान लग जाती थी
फिर भी देर तक रूठी ना रह पाती थी
मन ही जाती थी |
अब वह भी संभव नहीं
तुमने साथ जब छोड़ा मैं
अकेलेपन से घिरी
अब किसी का साथ नहीं है
मन पर बोझ भारी है |
कितनी कोशिश करती हूँ
मन को व्यस्त रखने की
पर चित्त एकाग्र नहीं हो
पाता
कैसे उसे समझाऊँ ,यह किसी
ने न बताया |
धीरे धीरे आध्यात्म की
ओरझुकाव होने लगा
शायद सफल हो पाऊं इसमें कुछ तो कर पाऊं
प्रभु को पाकर ही अपने को
धन्य मानूं |
आशा सक्सेना
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06 दिसंबर, 2023
अंतर राष्ट्रीय बालिका दिवस
है आज बालिका दिवस
बड़ी खुशी होती यदि
केवल कागज़ पर न मनाते इसे
जो बड़ी बड़ी बातें करते मंच पर
उनका अमल जीवन में न करते
सही माने में उसे मनाया जाता |
बालिकाओं को केवल
दूसरे दर्जे का नागरिक न कहा जाता
उन्हें अपने अधिकारों से
वंचित न किया जाता
आज के युग में बड़ी बड़ी बातों को
बहुत विस्तार से प्रस्तुत किया जाता
जब सच में देखा जाता
मन को कष्ट होता यही सब देख
कथनी और करनी में भेद भाव क्यों ?
हमारा प्रारम्भ से ही अनुभब रहा
कितना भेद भाव रहता है
लड़कों और बालिकाओं के
लालन पालन में
बहुत दुभांत होती है दौनों में |
हर बार वर्जनाएं सहनी पड़ती है
बालिकाओं को
लड़कों को किसी बात पर
रोका टोका नहीं
जाता
इसी व्यबहार से मन को
बहुत कष्ट होता
है
यदि सामान व्यबहार किया जाता दौनों में
ऐसे दिवस मनाने न पड़ते |
लोग अपने बच्चों
में भेद न करते
सबसे सामान
व्यवहार करते से
कथनी और करनी में
कोई भेद न होता
क्या आवश्यकता रह जाती
बालिकाओं के संरक्षण की
वे भी सामान रूप
से जीतीं खुल कर |
आशा सक्सेना
05 दिसंबर, 2023
कैसे लिखूं कविता
“कैसे लिखू कविता”
मुझे छंदों का ज्ञान नहीं
ना ही मुझे मीटर का बोध
कभी बड़ी कमी लगती है
लेखन मैं परिपक्वता नहीं आई अब तक |
मन है निराश क्यों अब समझ में आया
केवल शब्द चुनने से कविता नहीं बनती
कोई विचार लिपि बद्ध करने से
कविता का रूप नहीं सुधरता |
मन पर प्रभाव नहीं पड़ता
जब तक विचार सशक्त नही होता
उसे बिम्बों से सजाया नहीं जा सकता
छंदों में ठीक से ढाला नहीं जाता |
जो कहना चाहती हूँ कह नहीं पाती
वह खुशी नहीं मिलती जिसकी रहती अपेक्षा
सीधी सच्ची बातों को लिपि बद्ध करने में
भावों को विशेष रूप से ढालने में चौपाई में |
रही असफल कविता लिखने में
पर कोशिश नहीं छोड़ी कभी सफलता आएगी
सबने कहा किसी और विधा में लिखो
पर है कोशिश बेकार मन ने नहीं स्वीकारा इसे
जैसा भी लिखूं सब मुझे अच्छा लगता है |
स्वयं की संतुष्टि के लिए यह भी कम पड़ता है
विविध विचारों को रंग देती हूँ प्रसन्नता के लिए खुद के मन की खुशी के लिए
सोचती हूँ कभी तो सफलता होगी मेरे पास |
आशा सक्सेना .