26 मार्च, 2024

कविता के रंग और रस

 

यही भावनाएं उलझीं कवि की रचना में  

है इतनी शक्तिशाली उलझी शब्द शैली

उसमें रही हमारे मन की भावनाएं हमारे मन की भावनाए

 है कवि की रचना  इतनी शक्तिशाली

  उस में रहरी हमारे मन की भावनाएं

जिनकी मन से कभी दूर नहीं हो पाती

यही भावनाएं उलझी उसमें |

आशासे दूरना होना सहों सकी

भी दूर नहीं हो पाती

यही विषेशताहै कविता की

तभी चाहत रही  आज के कावियों की |

आशा

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी कविता में जो “उलझी हुई भावनाएं” कही हैं, वो हर उस इंसान की सच्चाई लगती हैं जो अपने एहसासों को शब्दों में बाँध नहीं पाता। मुझे अच्छा लगा कि कविता में दिखावा नहीं है, बस सीधी और सच्ची भावनाएँ हैं। शब्दों का जाल इतना सरल है, फिर भी असर छोड़ जाता है।

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