18 जुलाई, 2015

स्वागत वर्षा का




बूँदें वर्षा की 
टपटप टपकतीं
  झरझर झरतीं
धरती तरवतर होती
गिले शिकवे भूल जाती |
हरा लिवास  पहन ललनाएं
कई रंग जीवन में भरतीं 
हाथों में मेंहदी रचातीं
मायके को याद करतीं |
सावन की घटाएं छाईं  
आसमान हुआ  स्याह
पंछियों ने गीत गाया
गुनगुनाने का जी चाहा   |
झिमिर झिमिर वृष्टि जल की
ताप सृष्टि का हरती
वर्षा की नन्हीं बूंदें 
 थिरकती नाचतीं  किशलयों पर|
वे हिलते डुलते मरमरी धुन करते
हो सराबोर जल 
  नृत्य में सहयोग करते
आनंद  चौगुना करते |
नहाती बच्चों की  टोली वर्षा में
 है  यही आनंद वर्षा में नहाने का
सृष्टि के सान्निध्य का |
आशा

17 जुलाई, 2015

विचारणीय


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-कई विचार मन में बसते
कुछ ही उकेरे  जाते
 केनवास पर
या कोरे कागज़ के पन्नों पर
बीज अनेक बोये जाते
पर वृक्ष कुछ ही उगते
शेष नष्ट हो जाते
खाद का काम करते
अनेक जीव हैं सृष्टि में
सब फलफूल नहीं पाते
काल के गाल में समाते
सक्षम ही जीवित रहते
शासन समाज पर कर पाते 
सात रंग से बना इंद्र धनुष
पर वर्चस्व केवल चार का
वे ही स्पष्ट दीखते
अन्य गौण रहते
 जितनी शक्ति है जिसमें
संघर्ष करने की
खुद को स्थापित करने की
वही हुआ सफल सृष्टि में
 अपने को स्थापित करने में  
यही है कहानी
जीवन की रवानी की
शक्ति की भक्ति होती
कमजोर को स्थान नहीं |
आशा

15 जुलाई, 2015

शक्ति स्वरूपा राधा

 
Rupa Grover's photo.

 तुम मेरी शक्ति हो राधा
तुम ही मेरी प्रेरणा
जब भी तुम्हें निहारूं
अपना जीवन तुम पर वारूँ |
दया दृष्टि रखना मुझ पर
भूले से भी ना बिसराना
तुम हो भक्ति की शक्ति
तुम हीयोग माया |
मधुर मुस्कान तुम्हारी
देती है संबल मुझको
जाग्रति मन में होती है
भक्ति अधिक बढ़ती है |
छबि तुम्हारी सब से प्यारी
दुनिया तुम से हारी
मैंने हार न मानी
अभय दान चाहा है तुमसे
जीवन डोर  तुम्हीं  से बांधी |
आशा





  • 14 जुलाई, 2015

    क्षणिकाएं

    दो जिस्म एक जान 
    यूं ही नहीं पाए 
    है कीमती सलाह 
    व्यर्थ यूं ही न जाए |

    प्यार की सीड़ी  चढ़े थे 
    थामीं बाहें थीं 
    छोड़ने के नाम से 
    कांपती वह आज भी |

    आज आ बाहों में आजा
    कल क्या हुआ उसे भूल जा
    यदि क्रोध मन से न गया
    सोच क्या होगा भविष्य अपना |


    आया नहीं तेरा ख़त 
    वह ताकती रही छत 
    यदि तुझसे नहीं सहमत 
    फिर करे क्यूं कवायत |

    की तुझसे मुलाक़ात बड़ी शिद्दत से 
    .हुई पूर्ण आस बड़ी मुश्किल से 
    खुशियों का ठिकाना न रहा मिल कर तुझसे 
    सुनने सुनाने का मौक़ा मिला मुझे दिल से |
    आशा

    चित्र क्या कह रहा