एक दूसरे का करें अभिनन्दन
महिलाएं ही करें स्वागत
आगत महिलाओं का
आओ सम्मान दिवस मनाएं
खुद ही अपना गुणगान करें
रोज रोज होते आयोजन
यह दिवस या उस दिन मनाने के
याद नहीं रहते अब तो
किसका दिवस मनाया जाए
भाषण भक्षण का आयोजन करने का
है आज की विशेषता |
जो महिला आए दिन होती रहती प्रताड़ित
बड़ी बड़ी बातें करतीं है
सज बज कर मंच पर आ कर
अन्दर कितानी धुटन भरी है
आनन् पर नजर नहीं आने देतीं
सच्चाई तो यह है वे हो जाती हैं
मूक
मुंह पर ताला लग जाता है
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है
क्या लाभ बहस में फंसने का
जहां थे वहीं रहना है
कोई परिवर्तन नहीं हुआ है
ना ही समाज में ना लोगों की सोच में |
आशा