20 अक्टूबर, 2012

खडा हुआ सच सामने


 खडा हुआ सच सामने ,धूमिल कल की याद |
हो ना जाने कल क्या, मन की है आवाज ||

रोना धोना  व्यर्थ लगते ,लाठी बे आवाज |
जीवन मरण आज में ,बिना सार की बात ||

कटुता मन में भर गयी ,करती रही विद्रोह |
बातें चुभतीं शूल सी ,मन में होता क्षोभ ||

यही बोझ मन पर लिए ,आये  तेरे द्वार |
माँ तू सब कुछ जानती ,नैया करदे पार ||

माँ आए तेरी शरण में ,तू ही अंतिम आस |
अपनी त्रुटियाँ जानते  ,पर तुझी पर  विश्वास ||
आशा 


,

16 अक्टूबर, 2012

सोनाक्षी



सोनाक्षी  चंचल मना ,पाया रूप अनूप  |
कानन वन में खोजती ,वर अपने अनुरूप  ||

आलते से पैर सजे  ,पायल की झंकार |
 रख पाते न सुध अपनी  ,पा कर अपना प्यार ||

मृगनयनी मृदुबयनी ,जब करती मनुहार |
स्वर्णिम आभा फैलती,ऐसा है यह प्यार  ||

पुष्प भरी डाली झुकती ,जाने कितनी बार |
मुखडा छूना चाहती ,करने को अभिसार ||

यहाँ वहाँ वह  घूमती ,खुद को जाती भूल |
दामन खुशियों से भरा ,वर पा कर अनुकूल ||