आज के बच्चे खेल रहे मोवाइल पर
दिनरात पीछे पड़े रहते उसके
कुछ नया जानना नहीं चाहते
रावण दहन तक नहीं |
वे नहीं चाहते कुछ अधिक जानना
किसी त्यौहार के बारे में
नाही जानना चाहते
कारण त्यौहार मनाने का |
समाज में बड़े स्टेटस वाले
शान शौकत से रहने वाले
इसे तुच्छ समझते
कहते इन सब की जानकारी से
समय यूँ ही बर्वाद होगा क्या लाभ होगा
व्यर्थ की जानकारी से |
धर्म में उनकी कोई रुची नहीं है
हैं वे पाश्चात्य सभ्यता के अनुरागी
उन्हें नहीं भारत की सभ्यता से लगाव
भाषा तक पसंद नहीं हिन्दी उनको
|वे अंधानुकरण करते है अंग्रेजों की |
मन को बहुत कष्ट पहुंचता है यही सब देख
मन नहीं होता उनसे कुछ कहने सुनने का
वे डूबे इतना आधुनिकता में
भूल गए अपना धरातल अपनी संस्कृति
बस हाय हलो ही याद रही
प्रारम्भ होता सुबह हाय पापा हाय मम्मा से
कितावों में रख करअवांछित कहानियां पढ़ते
जताते कितना पढ़ रहे हैं |
आशा सक्सेना