03 अक्टूबर, 2022

किससे करूं शिकायत


 ना किसी से कुछ चाहा 

ना किया अलगाव  ही 

सब से समता का भाव रखा 

पर सुनी सब की करी मन की |

कभी सोचा न था लोग 

कहेंगे कटू भाषी मुझे 

मन को बड़ा झटका लगा 

मैंने आत्म मंथन किया |

सोचा विचारा कहाँ कमीं 

रही  स्वभाव में मेरे 

 कोई सही उत्तर न मिल पाया |

जिसदिन मन मेरा रहा शांत 

फिर से उसी प्रश्न ने दिया झटका मुझे 

फिर सोचा शायद मुझमें ही 

कहीं कमीं थी तभी मुझसे 

किसी को लगाव न रहा मुझसे |

किसीने कहा मगरूर मुझे 

किसी ने कहा बहुत सर उठाया है 

पर किसी ने न समझाना चाह 

मझ से शिकायत है क्या ?

 उस प्रश्न का उत्तर

 न किसी ने सुझाया मुझे

मैं किससे सलाल लूं या

 किस से शिकायत करूं |

                                                            प्रश्न बार बार मुझे उलझाए रहा

                                                                    पर कोई हल न निकला  

                                                                नाही कोई मेरी मदद करता                                                                                                   न कभी आएगा  मुझे समझाने |


                                                                        आशा सक्सेना 



  





+

8 टिप्‍पणियां:

  1. आभार यशोदा जी मेरी रचना को इस अंक में स्थान देने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  2. आभार सर इस अंक में मेरी रव्हना को स्थान देने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  3. आत्मविश्लेषण करती खुद को ही तराशती सँवारती सी सुन्दर रचना !

    जवाब देंहटाएं
  4. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: