क्यूँ न ऊंची उड़ान भरें 
नई ऊँचाई छूने को
हो कर कटिबद्ध
सब से आगे जाएं |
हसरतें पूर्ण करें मन की
कुछ शेष न रह पाएं
थोड़े से अरमा जो रहे शेष
उन्हें अंजाम तक पहुंचाएं |
क्या गलत है इसमें ?
अब तक समझ न पाई हूँ
हर बार वर्जना सहते सहते
बगावत पर उतर आई हूँ |
समझाती हूँ मन को
दिलाती हूँ दिलासा दिल को
सब ख्वाब पूर्ण नहीं हो सकते
पर यत्न किये जा सकते हैं
उस पर इतना बबाल क्यूँ ?
उड़ान ऊंची है

 पर असंभव नहीं
प्रयत्न कभी निष्फल नहीं होते
यदि हो भी जाएं तो क्या ?
कोशिश न करना

 है व्यर्थ की अवधारणा
वही सफलता को चूमते
ऊंची उड़ान भर पाते हैं
जो हिम्मत नहीं हारते
सफलता होती भरपूर 

 मेहरवान उन पर |
आशा