09 जनवरी, 2021

आज मुझे यह कहने दो

 


आज मुझे यह कहने दो

कि मेरा सोच गलत नहीं था

नया परिवेश नया मकान

निभाना इतना सहज नहीं था 

फिर भी मैंने तालमेल  किया है

अब कोई समस्या  नहीं है ।

खाली घर और हम अकेले

करते तो  क्या करते

आने को हुए बाध्य

कैसे अकेले रह पाते वहाँ ।

 स्वास्थय ने भी किनारा किया

वह भी साथ न दे पाया

आखिर वक्त से सम्झौता किया

यहाँ आने का मन बनाया |

आशा

08 जनवरी, 2021

अनसुलझे प्रश्न

 कितने अनसुलझे प्रश्नों ने घर 

बना लिया है ह्रदय में 

अब तो स्थान ही नहीं बचा है 

अन्य प्रश्नों के लिए |

जब भी उत्तर खोजना चाहती हूँ 

खोजे नहीं मिलते 

बहुत बेचैनी होती है 

असफलता जब हाथ आती है |

पर फिर भी जुझारू रहती हूँ 

साहस से  दूर भागती नहीं 

कुछ तो सफलता मिल ही जाती है

आत्म शान्ति मिल जाती है || 

मन को सुख मिल जाता है 

फिर दो



                                                                दो गुने जोश से जुट जाती हूँ 

और प्रश्न हल करने में

सफलता का नशा

 मस्तिष्क पर छा जाता है  |

आशा