कितने अनसुलझे प्रश्नों ने घर
बना लिया है ह्रदय में
अब तो स्थान ही नहीं बचा है
अन्य प्रश्नों के लिए |
जब भी उत्तर खोजना चाहती हूँ
खोजे नहीं मिलते
बहुत बेचैनी होती है
असफलता जब हाथ आती है |
पर फिर भी जुझारू रहती हूँ
साहस से दूर भागती नहीं
कुछ तो सफलता मिल ही जाती है
आत्म शान्ति मिल जाती है ||
मन को सुख मिल जाता है
फिर दो
दो गुने जोश से जुट जाती हूँ
और प्रश्न हल करने में
सफलता का नशा
मस्तिष्क पर छा जाता है |
आशा
और प्रश्न हल करने में
जवाब देंहटाएंसफलता का नशा
मस्तिष्क पर छा जाता है |
आशा
वाह!
सार्थक रचना। सादर।
Thanks for the comment
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जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
10/01/2021 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (10-01-2021) को ♦बगिया भरी बबूलों से♦ (चर्चा अंक-3942) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक मंगल कामनाओं के साथ-
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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Thanks for the information
हटाएंबहुत सुंदर रचना 🌹🙏🌹
जवाब देंहटाएंअपनी समस्याओं के समाधान स्वयं ढूँँढ लेने का आनंद कुछ और ही होता है !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
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