19 नवंबर, 2020

स्वप्नों में जीना है सही नहीं

 

 

 


                                                          वह दिन बहुत सुन्दर दिखता है

जहां बिखरी हों रंगीनियाँ अनेक

पर होता कोसों दूर वास्तविकता से

मन को यही बात सालती है |

मनुष्य क्यों स्वप्नों में जीता है

वास्तविकता से परहेज किस लिए

क्या कठोर धरातल रास नहीं आता

यही सोच सच्चाई से दूरी बढाता |

जब भी जिन्दादिली से  जीने की इच्छा  होती 

कुठाराघात हो जाता  अरमानों पर

है यह कैसी विडम्बना  किसे दोष दिया जाए

मन को संयत  रखना है कठिन |

 सीमा का उल्लंघन हो यह भी तो है अनुचित

कितनी वर्जनाएं सहना पड़ती हैं

घर की समाज की और स्वयं के मन की

तब  भी तो सही आकलन नहीं हो पाता|

कहावत है आसमान  से गिरे खजूर पर अटके

केवल स्वप्नों में जीना है धोखा देना खुद को

क्या नहीं है  यह सही तरीका सच्चाई से मुंह मोड़ने का

वही हुआ सफल जिसने ठोस धरती पर पैर रखे |

आशा

 

18 नवंबर, 2020

स्मृतियाँ

कई खट्टी मीठी यादें

दिल पर दस्तक देतीं

जब अधिकता उनकी होती

कुछ भुला दी जातीं

बहुत सी  याद रह जातीं|

स्मृति पटल पर उकेरी जातीं

जीवन की सच्चाई

 छिपी होती उन में

 लोग दिखावे की  जिन्दगी जीते

घर बाहर दोहरा मापदंड रखते

बाहर हंसते खिलखिलाते

घर में सदा रोते रहते

 या झल्लाते नाराज बने रहते |

स्मृतियाँ उन्हें उलझाए रखतीं

बार बार दस्तक देतीं

 दिमाग के दरवाजे पर

 कहीं वह भूल न जाए उन्हें |

वैसे तो एक शगल सा हो गया है

 बीती बातों को बारम्बार याद करना

उन्हें विस्मृत न होने देना  स्मृतिपटल से  

दिमाग को व्यस्त रखने के लिए

यह तरीका भी काफी है

स्मृतियों में जीने में खोए रहने में

जो सुख मिलता है और कहाँ |

आशा