22 मई, 2015

विनती है तुझसे


प्रार्थना करता भक्त के लिए चित्र परिणाम
कण कण में तेरा वास प्रभू
यही सुना है बचपन से
फिर भी इतना अंतर क्यूं
धनिक और ग़रीबों में
एक बात और देखी
कोई भी सुखी नहीं है
किसी न किसी उलझन में
फंसा है जूझ रहा है
क्या तुझको दया नहीं आती
क्यूं माँ बच्चों को भूखा सुलाती
अर्ध नग्न बच्चे बेचारे
ऋतुओं के जुल्म सहते जाते
जो मर्मान्तक पीड़ा झेल न पाते
दुनिया से कूच कर जाते
अनैतिक व्यापार जहां भी होता
तू कैसे अनदेखी करता
कोई राह नहीं सुझाता
पत्थर दिल तेरा नहीं पसीजता
यह आखिर कब तक चलेगा
क्या दया भाव तुझमें उपजेगा
कोई  तो राह निकाल प्रभू
थोड़ा सा कर उपकार प्रभू |

20 मई, 2015

कूप मंडूक


 kue ka mendhak के लिए चित्र परिणाम
कूपमंडूक
वहीं रहना चाहें 
बाहर नहीं
जल बरसा
नदीनाले न जाऊं
भय लगता |

जल नीला सा
सरोवर झील का
मन हरता |
गर्मीं के दिन
पोखर में नहाना
ठंडक देता |
आशा

18 मई, 2015

मधुमास में




                    मधुमास का स्वागत करना था
पूजन अर्चन करना था 
था वसंत पंचमीं का त्यौहार
वीणापाणी की सेवा करना थी  |
पीत वसन धारण किये
सरस्वति को नमन कर
केशरिया रंग में रंगी
धरणी पर विचरण किया |
जिस और भी दृष्टि गई
वर्चस्व इस रंग का देखा
मन उत्साह से भरा
कर पाई ना अनदेखा |
वृक्षों पर पुष्प वासंती
नीचे फूलों की चादर वासंती
हरियाली में रंग वासंती
मन को उत्फुल्ल करता |
पीत वसन से सजी धरा
हरियाली में रंग पीला भरा
जीवन का रंग हुआ वासंती
अनंगमय हुई धरती  |
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