गली के उस पार
सजी राखियों की दूकान
एक नहीं अनेक राखियां
छोटी बड़ी अनेक राखियाँ
बहन की अरमां राखियाँ
रंगबिरंगी बहुरंगी राखियाँ
कलाई का सिंगार राखियाँ
सजने को तैयार राखियाँ
कलाई सूनी भाई की
राह देखती बहना की
स्नेह का बंधन अटूट
रक्षक सूत्र सदा अनमोल
ये कच्चे धागे की राखियाँ
मन मोहक सुभग सुन्दर
बहनों का दुलार मनुहार
भाई के वादों का उपहार
घेवर फैनी का अम्बार
आया रक्षाबंधन त्यौहार
अपूर्व चमक आनन पर होती
जब कलाई पर राखी होती
बहन दुआएं देती
है अदभुद यह त्यौहार
रस्मों कसमों का त्यौहार
रहता हर वर्ष इन्तजार
कब दूकान पर राखियाँ सजें
उनमें बहना का प्यार पले |
आशा
आशा