बहती नदिया क साथ
बहती नदिया के साथ बहा
एक छोटा
सा तिनका घास का
कभी डूबता कभी उतराता
जीवन का आनंद भरपूर लिया
वह भूला
नहीं नदी के किनारों को
जाने कहाँ कब भवसागर का छोर मिलेगा
वह हार नही मानेगा अंत तक
किनारा खोज कर ही दम लेगा |
आशा सक्सेना
बहती नदिया क साथ
बहती नदिया के साथ बहा
एक छोटा
सा तिनका घास का
कभी डूबता कभी उतराता
जीवन का आनंद भरपूर लिया
वह भूला
नहीं नदी के किनारों को
जाने कहाँ कब भवसागर का छोर मिलेगा
वह हार नही मानेगा अंत तक
किनारा खोज कर ही दम लेगा |
आशा सक्सेना
तुमने तोड़ा दिल किसी का
प्यार का सौदा किया है है
यह भी ना सोचा कि
उसके दिल को ठेस लगेगी |
कितने वादे किये उससे
पर पूरा ना किया उनको
यही बताती तुम्हारी असलियाए
मन को ठेस लगी उसके |
क्या तुमने न्याय किया
उसके व्यवहार से साथ
यह तुम्हारा कैसा सोच
क्या यह अन्याय नहीं |
उसके मन को ठेस लगी
दिल को टुकड़े टुकडेकिया
मन को कोई दिलासा
कहीं से ना मिल पाई
यह दिन कितनी कठिनाई से बीता |
पर तुमपर किसी बात का
प्रभाव ना हुआ
क्या यही कियागया
कर्तव्य था तुम्हारा |
आशा सक्सेना
तोड़ा है दिल
मस्तिष्क पर जोर
यह क्या है
कभी सोचा है
कौन तुम्हारा
हुआ
जान न पाए
हम एकेले
किससे कहें
व्यथा
सोचते रहे
चंचल मन
विचलित हुआ है
स्थिर न रहा
फितरत है
स्थाईत्व नहीं
रहा
कहाँ जाता है
कैसी जिन्दगी
चारो और अन्धेरा
फैला हुआ |
आशा सक्सेना
जब वीणा का तार
बजा मधुर स्वर र्में
किसी को बाध्य ना होना पड़ा
यही सब सीखने के लिए |
मन में रहा उत्साह
नया सीखने के लिए
जब कोशिश की देर ना लगी
कुछ भी सीखने में |
यह एकाग्रता है ईश्वर प्रदत्त
है विशेष गुण जन्म से
सभी खुश होते कुछ नया देखकर
तारीफ विशेष होती यह जान कर
|
बेटी बहुत गुणी है
यही सब सुनने में आता
मां का दिल कभी ना हारता|
आशा सक्सेना
१-आया वसंत
खेतों में बिखरे पुष्प
सरसों के हैं
२ -सरसों फूली
-पुष्प खिले खेतों में
फागुन आया
४-यह मौसम
बहु त प्यारा हुआ
सरदी विदा
आशा सक्सेना
छा
ह
रियाली है
२-पीत पुष्प हैं
खेतों में बिखरे पुष्प
सरसों के हैं
३-सरसों फूली
-पुष्प खिले खेतों में
फागुन आया
४-यह मौसम
बहु त प्यारा हुआ
सरदी विदा
आशा सक्सेना
ई बहार यहाँ
किसी से कही मन की बात
सोचा मन हल्का हो जाएगा
और हँसी का पात्र बनी
लोगों ने पीछे से मजाक बनाया उसका|
यही बात जब जानी मन को संताप हुआ
अब सोचा किसी से कोई बात नहीं करेगी
सब को अपना नहीं समझेगी
यदि सच्चा मित्र बनाना हो कितना सोचेगी |
जितनी बार मित्र बनाया
हर बार ही धोखा खाया
पहले जांचेगी परखेगी
तब ही उस पर भरोसा करेगी |
यही एक बात सीखी है
उसने इस अनुभव से
अब वह भूल नहीं करेगी
जितना हो सके उसका
पहले परीक्षण करेगी |
जब उसमें यह सफल होगी
तभी आगे बढ़ने की सोचेगी
तब धोखा ना देगा देने वाला
यही एक वादा उसने खुद से किया |
अब बेफिक्र हो गई
किसी छलावे से
स्वविवेक का उपयोग करेगी
अब पीछे नहीं हटेगी |
आशा सक्सेना किसी की बंदिश सहना नहीं मंजूर उसे
यदि उसने सोच लिया
उसने सही मार्ग चुना है
वह सही राह पर चल रही |
जो मन में आया वही किया उसने
किसी के साथ ना चल पाई वहकिसी की बंदिश सहना
नहीं मंजूर उसे
यदि उसने सोच लिया
उसने सही मार्ग चुना है
वह सही राह पर चल रही |
जो मन में आया वही किया उसने
किसी के साथ ना चल पाई वह
ना ही अनुसरण कर पाई किसी का
यही जिद रही उसकी उस में ही खुश रही |
छोटा समझ की जिद पूरी
किसी ने ठीक से समझाया नहीं उसे
हर जिद्द पूरी की उसकी
मन-मौजी बना
दिया उसे |
जीवन की अच्छाई ने
मन मोजी बना दिया उसको भूले से नहीं स्वीकारा है
है यही सलाह मेरी
किसी से कही मन की बात
सोचा मन हल्का हो जाएगा
और हँसी का पात्र बनी
लोगों ने पीछे से मजाक बनाया उसका|
यही बात जब जानी मन को संताप हुआ
अब सोचा किसी से कोई बात नहीं करेगी
सब को अपना नहीं समझेगी
यदि सच्चा मित्र बनाना हो कितना सोचेगी |
जितनी बार मित्र बनाया
हर बार ही धोखा खाया
पहले जांचेगी परखेगी
तब ही उस पर भरोसा करेगी |
यही एक बात सीखी है
उसने इस अनुभव से
अब वह भूल नहीं करेगी
जितना हो सके उसका
पहले परीक्षण करेगी |
जब उसमें यह सफल होगी
तभी आगे बढ़ने की सोचेगी
तब धोखा ना देगा देने वाला
यही एक वादा उसने खुद से किया |
अब बेफिक्र हो गई
किसी छलावे से
स्वविवेक का उपयोग करेगी
अब पीछे नहीं हटेगी |
आशा सक्सेना किसी की बंदिश सहना नहीं मंजूर उसे
यदि उसने सोच लिया
उसने सही मार्ग चुना है
वह सही राह पर चल रही |
जो मन में आया वही किया उसने
किसी के साथ ना चल पाई वहकिसी की बंदिश सहना
नहीं मंजूर उसे
यदि उसने सोच लिया
उसने सही मार्ग चुना है
वह सही राह पर चल रही |
जो मन में आया वही किया उसने
किसी के साथ ना चल पाई वह
ना ही अनुसरण कर पाई किसी का
यही जिद रही उसकी उस में ही खुश रही |
छोटा समझ की जिद पूरी
किसी ने ठीक से समझाया नहीं उसे
हर जिद्द पूरी की उसकी
मन-मौजी बना
दिया उसे |
जीवन की अच्छाई ने
मन मोजी बना दिया उसको भूले से नहीं स्वीकारा है
है यही सलाह मेरी
१-बाई ने कहा
जन्म महावीर का
सब मनाते
२-जन्म दिन है
आज हनुमान का
हम मनाते
३-हनुमंत जी
सीता राम भक्त हुए
सब जानते
४-राम रहीम
सदा एकसाथ हैं
हमारे पूज्य
आशा
एक वह दिन था जब
हमें जानता न था कोई
किसी कार्य को करने के लिए
बाहर वालों का मुंह देखना पड़ता था |
बहुत कठिनाई हुई इस समाज में
खुद को स्थापित करने में
पर जब सफलता पाई
खुशियों से मन भरा |
अब सोच लिया ना डरने से
हिम्मत से सभी कार्य करने में
कभी पीछे ना हटेंगे
यही हिम्मत अब उत्पन्न हुई
दिल को विश्वास आया
कदम पीछे ना हटेंगे कभी |
आशा सक्सेना
खुशियाँ ही खुशियाँ प्रति दिन
फैली यहाँ वहां चारों ओर
यह मैंनेभी अनुभव किया
दुःख होता है क्या मुझे मालूम नहीं |
सुख क्या है और दुःख क्या
मैने जानने की कभी कोशिश ना की
सुख को मैंने अपनाया
दुःख की परवाह ना की |
सभी ने सराहा किसीने बुरा ना कहा
सभी ने प्रशंसा की मेरी
,ईश्वर ने मुझे बक्षी नियामत
खुशियूं के रूप में जिसे मैंने भाग्य समझा |
सोचा मुझसा कोई ना भाग्य शाली हुआ
आज तक इस भवसागर में
जब दुःख पर नजर डाली
कष्टों की सीमा दिखाई ना दी |
एक बार मन में आया
प्रभु ने क्यों बचाया मुझे
मेरे सत्कर्मों से होकर प्रसन्न
या यश मैंने कमाया अपने गुणों से |
आशा सक्सेना
सुर्ख अधर तुम्हारे
दन्त पंक्ति दाड़िम के बीज जैसी
चंचल चितवन करती आकृष्ट सभी को
मुस्कान तुम्हारी चहरे की |
यह भोलापन यह मासूमियत
इतनी सहज नहीं मिल पाती
होते बहुत भाग्यशाली
जो नवाजे जाते इस अद्भुद प्रसाद से |
जो देखता सोचता यह रूप कहाँ से पाया
तुम्हारे सत्कर्मों से या प्रभु की कृपा से
सच में तुम ने बहुत भाग्य से पाया है यह सब
अद्भुद हो तुम और तुम्हारा रूप |
आशा सक्सेना