21 अक्टूबर, 2023

बहती नदिया के साथ बहा

 


                                  बहती नदिया क साथ

बहती नदिया के साथ बहा

एक  छोटा सा तिनका घास का

कभी डूबता कभी उतराता

जीवन का आनंद भरपूर  लिया

वह  भूला नहीं नदी के किनारों को

जाने कहाँ कब भवसागर का छोर मिलेगा

वह हार नही मानेगा अंत तक

किनारा खोज कर ही दम लेगा |

आशा सक्सेना 


तुमने तोड़ा दिल किसी का

 

तुमने तोड़ा दिल किसी का 

प्यार का सौदा किया है है 

यह भी ना सोचा कि 

उसके दिल को ठेस लगेगी |

कितने वादे  किये उससे 

पर पूरा ना किया उनको 

यही बताती तुम्हारी असलियाए 

मन को ठेस लगी उसके |

क्या तुमने न्याय किया 

उसके व्यवहार से साथ 

यह तुम्हारा कैसा सोच 

क्या यह अन्याय नहीं | 

उसके मन को ठेस लगी 

दिल को टुकड़े टुकडेकिया 

मन को कोई दिलासा

 कहीं से ना मिल पाई 

यह दिन कितनी कठिनाई से बीता |

पर तुमपर किसी बात का 

प्रभाव  ना हुआ 

क्या यही कियागया 

 कर्तव्य था तुम्हारा |

आशा सक्सेना 


हाइकु

 

तोड़ा  है दिल

मस्तिष्क पर जोर

यह क्या है

 

कभी सोचा है

कौन तुम्हारा हुआ

जान न पाए

 

हम एकेले

किससे  कहें व्यथा

सोचते रहे

 

चंचल मन

विचलित हुआ है

स्थिर न रहा

 

फितरत है

स्थाईत्व नहीं रहा

 कहाँ जाता है

 

कैसी जिन्दगी

 चारो और अन्धेरा

फैला हुआ |


आशा सक्सेना

20 अक्टूबर, 2023

वीणा का तार

 

 जब वीणा का तार 

बजा मधुर स्वर र्में 

किसी को बाध्य ना होना पड़ा

यही सब सीखने के लिए |

मन में रहा उत्साह

 नया सीखने के लिए

जब कोशिश की देर ना लगी

कुछ भी सीखने में |

यह एकाग्रता है ईश्वर प्रदत्त

है विशेष गुण जन्म से

सभी खुश होते कुछ नया देखकर

तारीफ विशेष होती यह जान कर |

बेटी बहुत गुणी  है

यही सब सुनने में आता

 मां का दिल कभी ना हारता|

आशा सक्सेना 

19 अक्टूबर, 2023

हाइकु

                                                                         १-आया वसंत 

                                                                     खेतों  में बिखरे पुष्प 

सरसों के हैं 

२ -सरसों फूली 

-पुष्प खिले खेतों में 

फागुन आया 

४-यह मौसम 

बहु त प्यारा हुआ 

सरदी विदा 

आशा सक्सेना 


छा

रियाली है 

२-पीत पुष्प हैं 

 खेतों  में बिखरे पुष्प 

सरसों के हैं 

३-सरसों फूली 

-पुष्प खिले खेतों में 

फागुन आया 

४-यह मौसम 

बहु त प्यारा हुआ 

सरदी विदा 

आशा सक्सेना 


ई बहार यहाँ 

स्वविवेक

 


   

किसी से कही मन की बात

सोचा मन हल्का हो जाएगा

और हँसी का पात्र बनी

लोगों ने पीछे से मजाक बनाया उसका|

यही बात जब जानी मन को संताप हुआ

अब सोचा किसी से कोई बात नहीं करेगी

सब को अपना नहीं समझेगी

यदि सच्चा मित्र बनाना हो कितना सोचेगी |

जितनी बार मित्र बनाया

हर बार ही धोखा खाया

पहले जांचेगी परखेगी

 तब ही उस पर भरोसा करेगी |

यही एक बात सीखी है

 उसने इस अनुभव से

अब वह  भूल नहीं करेगी

जितना हो सके उसका

 पहले परीक्षण करेगी |

जब उसमें यह सफल होगी

 तभी आगे बढ़ने की सोचेगी

तब धोखा ना  देगा देने वाला

यही एक वादा उसने खुद से किया |

अब बेफिक्र हो गई

किसी छलावे से

स्वविवेक का उपयोग करेगी

अब पीछे नहीं हटेगी  |

आशा सक्सेना किसी की बंदिश सहना नहीं मंजूर उसे

यदि उसने सोच लिया

उसने सही मार्ग चुना है 

वह  सही राह पर चल रही |

जो मन में आया वही किया उसने

किसी के साथ ना चल पाई वहकिसी की बंदिश सहना नहीं मंजूर उसे

यदि उसने सोच लिया

उसने सही मार्ग चुना है 

वह  सही राह पर चल रही |

जो मन में आया वही किया उसने

किसी के साथ ना चल पाई वह

ना ही अनुसरण कर पाई किसी का

यही जिद रही उसकी उस में ही खुश रही |

छोटा समझ की जिद पूरी

किसी ने  ठीक से समझाया नहीं उसे

हर जिद्द पूरी की उसकी

 मन-मौजी  बना दिया उसे |

जीवन की अच्छाई ने

 मन मोजी बना दिया  उसको भूले से नहीं स्वीकारा है

है यही सलाह मेरी

मन की बात

 

किसी से कही मन की बात

सोचा मन हल्का हो जाएगा

और हँसी का पात्र बनी

लोगों ने पीछे से मजाक बनाया उसका|

यही बात जब जानी मन को संताप हुआ

अब सोचा किसी से कोई बात नहीं करेगी

सब को अपना नहीं समझेगी

यदि सच्चा मित्र बनाना हो कितना सोचेगी |

जितनी बार मित्र बनाया

हर बार ही धोखा खाया

पहले जांचेगी परखेगी

 तब ही उस पर भरोसा करेगी |

यही एक बात सीखी है

 उसने इस अनुभव से

अब वह  भूल नहीं करेगी

जितना हो सके उसका

 पहले परीक्षण करेगी |

जब उसमें यह सफल होगी

 तभी आगे बढ़ने की सोचेगी

तब धोखा ना  देगा देने वाला

यही एक वादा उसने खुद से किया |

अब बेफिक्र हो गई

किसी छलावे से

स्वविवेक का उपयोग करेगी

अब पीछे नहीं हटेगी  |

आशा सक्सेना किसी की बंदिश सहना नहीं मंजूर उसे

यदि उसने सोच लिया

उसने सही मार्ग चुना है 

वह  सही राह पर चल रही |

जो मन में आया वही किया उसने

किसी के साथ ना चल पाई वहकिसी की बंदिश सहना नहीं मंजूर उसे

यदि उसने सोच लिया

उसने सही मार्ग चुना है 

वह  सही राह पर चल रही |

जो मन में आया वही किया उसने

किसी के साथ ना चल पाई वह

ना ही अनुसरण कर पाई किसी का

यही जिद रही उसकी उस में ही खुश रही |

छोटा समझ की जिद पूरी

किसी ने  ठीक से समझाया नहीं उसे

हर जिद्द पूरी की उसकी

 मन-मौजी  बना दिया उसे |

जीवन की अच्छाई ने

 मन मोजी बना दिया  उसको भूले से नहीं स्वीकारा है

है यही सलाह मेरी

हाइकू

 

१-बाई ने कहा

जन्म महावीर का

सब मनाते

२-जन्म दिन है

आज हनुमान का

हम  मनाते

३-हनुमंत जी 

सीता राम भक्त हुए

सब जानते

४-राम रहीम

सदा एकसाथ हैं

हमारे पूज्य

आशा 


17 अक्टूबर, 2023

आत्म विश्वास

 एक वह  दिन था जब 

हमें  जानता न था कोई 

किसी कार्य को करने के लिए 

बाहर वालों का मुंह देखना पड़ता था |

बहुत कठिनाई हुई इस समाज में 

खुद को स्थापित करने में 

पर जब सफलता पाई 

खुशियों से मन भरा |

अब सोच लिया ना डरने से 

हिम्मत से सभी कार्य करने में 

कभी पीछे ना हटेंगे 

यही हिम्मत अब उत्पन्न हुई 

दिल को विश्वास आया 

कदम पीछे ना हटेंगे कभी |

आशा सक्सेना 

16 अक्टूबर, 2023

खुशियाँ ही खुशियाँ

                        

                      

 खुशियाँ ही खुशियाँ प्रति दिन 

  फैली यहाँ वहां चारों ओर 

    यह मैंनेभी  अनुभव किया  

  दुःख होता है क्या मुझे मालूम नहीं | 

                  सुख क्या है और दुःख क्या

                 मैने  जानने की कभी कोशिश ना की 

                   सुख को मैंने अपनाया 

                 दुःख की परवाह ना की |

सभी ने सराहा किसीने बुरा ना कहा 

सभी ने  प्रशंसा की मेरी 

,ईश्वर ने मुझे बक्षी  नियामत

 खुशियूं के रूप में जिसे मैंने भाग्य समझा |

सोचा  मुझसा कोई ना भाग्य शाली हुआ

 आज तक इस भवसागर में 

जब दुःख पर नजर डाली

 कष्टों की सीमा दिखाई ना दी |

एक बार मन में आया 

प्रभु ने क्यों बचाया मुझे 

मेरे सत्कर्मों से होकर प्रसन्न

या यश मैंने कमाया अपने गुणों से |

आशा सक्सेना 



15 अक्टूबर, 2023

रूप तुम्हारा

 सुर्ख अधर तुम्हारे

 दन्त पंक्ति दाड़िम के बीज  जैसी

चंचल चितवन करती आकृष्ट सभी को 

मुस्कान तुम्हारी चहरे की |

यह भोलापन यह मासूमियत 

इतनी सहज नहीं मिल पाती 

होते बहुत भाग्यशाली  

जो नवाजे जाते  इस अद्भुद प्रसाद से |

जो देखता सोचता यह रूप कहाँ से पाया 

तुम्हारे सत्कर्मों से या प्रभु की कृपा से 

सच में तुम ने बहुत भाग्य से पाया है यह सब 

अद्भुद हो तुम और तुम्हारा रूप    |          

                                                        आशा सक्सेना