बहती नदिया क साथ
बहती नदिया के साथ बहा
एक छोटा सा तिनका घास का
कभी डूबता कभी उतराता
जीवन का आनंद भरपूर लिया
वह भूला नहीं नदी के किनारों को
जाने कहाँ कब भवसागर का छोर मिलेगा
वह हार नही मानेगा अंत तक
किनारा खोज कर ही दम लेगा |
आशा सक्सेना
बहुत सुंदर
धन्यवाद ओंकार जी टिप्पा नी के लिए |
छोटी सी सुन्दर सशक्त प्रेरक रचना ! बहुत बढ़िया !
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बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पा नी के लिए |
जवाब देंहटाएंछोटी सी सुन्दर सशक्त प्रेरक रचना ! बहुत बढ़िया !
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