चला था  खोज में  जोश से भरा
कुछ कर गुजरने की  चाह  में  
अखवार के  पन्नों  की सुर्ख़ियों में 
रहने का स्वप्न सजाए  मन में |
सर्द हवाओं से  उत्साह ठंडा
हुआ 
पर हार न मानी उसने 
गर्म चाय ने ऊर्जा प्रदान की थोड़ी 
दुगुना जोश बढ़ाया पैरों ने गति पकड़ी |
 जैसे ही  पहुंचा पास  लक्ष्य के  
मन का उत्साह चौगुना हुआ 
अपनी सफलता को समीप  पाया 
हाथ बढ़ा उसे छूना चाहा | 
प्रयत्न की सफलता ने जितनी खुशी दी 
  वह बाँट न पाया अपनों से 
क्यों कि था  वह दूर बहुत उनसे
उसने  दूर भाष पर सांझा किया |
 राह पकड़ी फिर  अपनों से मिलने के लिए 
राह में जब  देखा अखवार 
खुद को पहले पन्ने पर देख 
                              दिल बल्लियों उछला स्वप्न साकार होता देख |
                                               आशा 
दिल बल्लियों उछला स्वप्न साकार होता देख |