23 जुलाई, 2021

नया अंदाज



 



है चाँद सा मुखड़ा

चमक ऐसी

 चाँद आया  धरा पे   

 दीखती ऎसी

 खिले कमल जैसी

 सुडौल अप्सरा सी

कंचन देह

खंजन से  नयन

दृष्टि फिसली 

चहरे पर आव ऎसी  

न थमी दृष्टि   

 किया ऐसा सिंगार

चमका दिया 

चेहरा चांदनी सा 

आया निखार 

 नूरानी चहरे पे 

सजी  बालिका

नया  सा  अंदाज है | 

आशा 

 

24 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26-7-21) को "औरतें सपने देख रही हैं"(चर्चा अंक- 4137) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

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  2. कृपया २६ की जगह २७ पढ़े
    कल थोड़ी व्यस्तता है इसलिए आमंत्रण एक दिन पहले ही भेज रही हूँ।

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  3. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (26-07-2021 ) को 'अपनी कमजोरी को किस्मत ठहराने वाले सुन!' (चर्चा अंक 4137) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      आभार रवीन्द्र सिंह जी मेरी रचना की सूचना के लिए |

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  4. वाह बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ।

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  5. सुप्रभात
    धन्यवाद नीतीश जी टिप्पणी के लिए |

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  6. सुन्दर श्रृंगार रचना मुग्ध करती है।

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  7. शृंगार रस में सुंदर रचना। बधाई आपको।

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  8. बहुत सुन्दर श्रृंगारिक रचना

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  9. बहुत सुंदर पंक्तियाँ! उत्कृष्ट प्रस्तुति!--ब्रजेंद्रनाथ

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  10. बहुत सुंदर,मोहक पंक्तियां

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  11. अरे वाह ! यह अपरूप सुन्दरी है कौन ! मुग्ध करती सुन्दर रचना !

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  12. सुप्रभात
    द्नान्य्वाद टिप्पणी के लिए |

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