18 जनवरी, 2014

तलाश एक कोने की



कहाँ हूँ कैसी हूँ  किसी ने न जाना
ना ही जानना चाहा
है क्या आवश्यकता मेरी
मुझ में सिमट कर रह गयी |
सारी शक्तियां सो गईं
दुनिया के रंगमंच पर
नियति के हाथ की
कठपुतली हो कर रह  गयी  |
खोजना चाहती हूँ अस्तित्व  अपना
मन की शान्ति पाने का सपना
अधिक बोझ मस्तिष्क पर होता
जब विचारों पर पहरा न होता |
अनवरत तलाश है तेरी
बिना किसी के   आगे बढ़ने की
ऐसा कोना  कहीं तो हो
जहां न व्यवधान कोई हो |
जिन्दगी जैसी भी हो
मैं और मेरा आराध्य हो
दुनियादारी से दूर
शान्ति का एहसास हो |
आशा

16 जनवरी, 2014

चेहरा तेरा

चेहरा तेरा
दर्प से चमकता
सच्चे मोती  सा |
२-
रिश्ता प्यार का
निभाना है कठिन
आज ही जाना |
३-
यूं  न देखते
सोचते समझते
तुझे निभाते |
४-
किया अर्पण
पूरा जीवन तुझे
तूने न जाना |
५-
बूँद स्वेद की
कम नहीं अश्रु से
पीर झलकी |
६-
हुआ चयन
दो बूँद अश्क झरे
मूंदे नयन |

-तिल गुड़ से
बनते लड्डू मीठे
संक्रांति मने |

ईद आ गयी
शीर खुरमा पका
मिठास बड़ी |

14 जनवरी, 2014

सर्द हवाएं



सर्द हवाएं
है धवल चादर
ठिठुरी वादी |

दीदार तेरा
हरता मन मेरा
दीवाना हुआ |

ए मेरी सखी
तू सब भूल गयी
हुई बेगानी |

खिला कमल
झाँक रहा जल में
हो कर मुग्ध |

सुख क्षणिक
आभास नहीं होता
दुखी संसार |

दुःख बसा है
रग रग में तेरे
कैसे सुखी हो |

छटा कोहरा
नन्हीं बूँदें जल की
झरने लगीं |

कुसुम पर
एक बूँद ओस की
रही थिरक  |
आशा

12 जनवरी, 2014

खोजूं कहाँ




खोजूं कहाँ तुझे
ए मेरे मन
न जाने कहाँ
 खो गया है
चैन सारा हर लिया है |
खैर  मना कि मैंने
दर्ज न कराई
कोई शिकायत
तेरे खो  जाने की
नहीं तो क्या हाल होता |
कैद से
 निकल नहीं पाता
रोता चीखता
कितनी भी
 मिन्नतें करता |
आभार मान  सब का 
किसी ने बंधक न बनाया
बहुत मुश्किल से 
तेरा सुराग पाया |
हूँ आश्वस्त 
कभी तो मिलेगा 
मेरी खोज का 
अंत होगा |

आशा